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 परिवार हिरासत केंद्रों से बच्चों और परिवारों को क्यों नहीं छोड़ा जा रहा: अमेरिकी फेडरल कोर्ट

 परिवार हिरासत केंद्रों से बच्चों और परिवारों को क्यों नहीं छोड़ा जा रहा: अमेरिकी फेडरल कोर्ट

ह्यूस्टन । कोरोना वायरस के प्रकोप के बावजूद हिरासत में रखे गए प्रवासी बच्चों और परिवारों को रिहा नहीं करने पर एक संघीय न्यायाधीश ने ट्रम्प प्रशासन की आलोचना की है और सरकार को आदेश दिया कि वह अदालत को विस्तृत जानकारी दे कि उसने इन लोगों को जल्द से जल्द रिहा करने के लिए क्या प्रयास किए हैं। जिला न्यायाधीश डॉली एम गी ने शुक्रवार को अमेरिकी सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया कि उसने तीन परिवार हिरासत केंद्रों से करीब 350 बच्चों और अभिभावकों को क्यों नहीं छोड़ा है। अमेरिका आव्रजन और सीमाशुल्क प्रवर्तन (आईसीई) की बच्चों के माता-पिता से कथित तौर पर यह पूछने पर आलोचना हो रही है कि क्या वे अपने बगैर बच्चों को छोड़े जाने की अनुमति दे सकते हैं।
पेन्सिलवेनिया के एक और टेक्सास के दो हिरासत केंद्रों में अभिभावकों को संक्षिप्त बैठक के लिए बुलाया गया और पूछा गया कि क्या उनके बच्चों की देखभाल के लिए कोई मौजूद है। परिवारों के वकीलों ने पिछले सप्ताह यह जानकारी दी। बच्चों के माता-पिता को इस संबंध में एक फॉर्म भरने को कहा गया।आईसीई ने फॉर्म सार्वजनिक करने से मना कर दिया है। गी ने अपने फैसले में लिखा कि उन्हें यह नहीं लगता कि आईसीई ने औपचारिक रूप से इस तरह की मंजूरी मांगी है, लेकिन हिरासत में बंद माता-पिता से उनके अधिकारियों की बातचीत के बाद भ्रम पैदा हो गया है तथा अनावश्यक भावनात्मक उथल-पुथल की स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों को रिहा करने के प्रयासों के संबंध में लोगों से लगातार अलग से बातचीत का वैध मकसद पूरा नहीं होता दिखाई दे रहा। वकीलों के अनुसार व्यापक रूप से अभिभावकों का मानना है कि उनसे या तो अपने बच्चों के साथ हिरासत में रहने या बच्चों को छोड़ने देने के लिए कहा जा रहा है।
पेन्सिलवेनिया के लीसपोर्ट में आईसीई के हिरासत केंद्र में परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह एएलडीईए के कार्यकारी निदेशक ब्रिगेट कांबरिया ने कहा वे मांओं से अपने एक साल के शिशुओं से अलग होने और ऐसे संरक्षकों के पास भेजने को कह रहे हैं जो बच्चे से कभी मिले ही नहीं या बच्चा उन्हें जानता ही नहीं। ट्रंप प्रशासन पर फिर से आरोप लग रहे हैं कि वह प्रवासी परिवारों को अलग करने का प्रयास कर रहा है। 2018 में दक्षिणी सीमा पार करने के संबंध में ट्रंप प्रशासन की ‘कतई बर्दाश्त नहीं करने की’ नीति को लागू किये जाने पर भी इस तरह की आलोचना हुई थी।
 

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