मुंबई। लॉकडाउन और कोरोना महामारी के भीषण चपेट में आई भारतीय अर्थव्यवस्था पर चालू वित्त-वर्ष में काफी बुरा असर पडऩे वाला है। एसबीआई की मंगलवार को जारी इकोरैप रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020-21 में भारत की विकास दर शून्य से 6.8 फीसदी नीचे जा सकती है। वहीं, मार्च से लॉकडाउन शुरू होने की वजह से बीते वित्त-वर्ष की आखिरी तिमाही में विकास दर 1.2 फीसदी रहने का अनुमान है। इकोरैप के अनुसार, वित्त-वर्ष 2019-20 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) में विकास दर सात साल के निचले स्तर पर 4.7 फीसदी रही थी। वहीं, पहली तिमाही में विकास दर 5.1 फीसदी व दूसरी तिमाही में 5.6 फीसदी थी। एसबीआई ने कहा है कि चौथी तिमाही के आखिरी सप्ताह में लॉकडाउन की वजह से कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई थी। इस कारण जनवरी-मार्च में विकास दर 1.2 फीसदी रह सकती है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय 29 मई को पिछले वित्त-वर्ष के जीडीपी आंकड़े जारी करेगा। इससे पहले एसबीआई ने अनुमान जताया है कि बीते वित्त-वर्ष में विकास दर 4.2 फीसदी रह सकती है, जो पहले 5 फीसदी रहने का अनुमान था।
एक हफ्ते में 1.4 लाख करोड़ की चपत
रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च के आखिरी सप्ताह में लागू हुए लॉकडाउन की वजह से महज 7 दिनों के भीतर अर्थव्यवस्था को 1.4 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी। साथ ही नए वित्त वर्ष के शुरुआती दो महीने लॉकडाउन में जाने की वजह से विकास दर शून्य से भी कम हो गई है।
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शून्य से 6.8 फीसदी नीचे जा सकती है जीडीपी: एसबीआई