
लंदन। कोरोना वायरस की साधारण और कम मात्रा किसी व्यक्ति में इंफेक्शन फैलाने के लिए काफी नहीं है। वायरस की ज्यादा डोज युवाओं पर भी भारी पड़ती है। इसलिए वायरस की अधिक मात्रा से बचने के लिए कुछ बिंदुओं का ध्यान देना जरूरी है। कोरोना वायर से बचाव के लिए विशेषज्ञ मास्क पहनने, दूसरों से छह फुट की दूरी बनाने, भीड़ भरे स्थानों से बचने और बार-बार हाथ धोने की सलाह देते हैं तो वे क्या कह रहे होते हैं: उनका अर्थ होता है कि वायरस की मात्रा को न्यूनतम बनाए रखने की कोशिश करें। वायरस के कुछ कण लोगों को बीमार तो कर सकते हैं। लेकिन, इम्यून सिस्टम हमलावर को जल्द खदेड़ देता है। आमतौर पर जिन लोगों में किसी भी वायरस का स्तर उच्च होता है, उनमें ज्यादा गंभीर लक्षण दिखाई पड़ते हैं। ऐसे लोगों द्वारा दूसरों को वायरस फैलाने की संभावना अधिक रहती है। कुछ अध्ययनों के अनुसार जिन लोगों में नए कोरोना वायरस के कोई लक्षण नहीं होते उनके शरीर में वायरस की मात्रा गंभीर रूप से बीमार लोगों के बरबार हो सकती है। कोरोना वायरस के मरीज लक्षण शुरू होने से पहले दो-तीन दिनों में सबसे अधिक संक्रमण फैला सकते हैं। कुछ व्यक्ति वायरस के उदार प्रसारक होते हैं और कुछ लोग कम होते हैं। हालांकि स्पष्ट नहीं है कि ऐसा उनकी शरीर रचना या उनके व्यवहार की वजह से होता है। किसी व्यक्ति के नथुनों का आकार, नाक, में बालों की संख्या और बलगम की मात्रा पर निर्भर करेगा कि संक्रमित होने के लिए कितने वायरस की जरूरत पड़ती है।
वायरस की ऊंची डोज हानिकारक
किसी भी व्यक्ति के लिए वायरस की ऊंची डोज हानिकारक है। इससे पता लगता है कि क्यों कई युवा वायरस के शिकार हो जाते हैं। आमतौर पर वायरस बुजुर्गों को निशाना बनाता है। डोज का प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि वह सांस या किसी अन्य माध्यम से शरीर में आई है। लोग किसी प्रदूषित सतह को छूने और फिर हाथ अपने मुंह या नाक में लगाने से वायरस के संपर्क में आते हैं। अमेरिका के बीमारी नियंत्रण सेंटर के अनुसार यह वायरस फैलने का मुख्य तरीका नहीं हो सकता है। इस तरह से संक्रमण के लिए लाखों वायरस जरूरी हैं। कंफिंग, छींकने, गाने, बात करने और गहरी सांस लेने से वायरस के साथ हजारों बड़ी और छोटी बूंदें निकलती हैं। बड़ी बूंदें वजनदार होती हैं और तेजी से नीचे जाती हैं। वे सर्जिकल मास्क को नहीं भेद सकती हैं। एरोसॉल नामक पांच माइक्रान से कम व्यास की बूंदें हवा में घंटों तैर सकती हैं। इनमें बड़ी बूंदों की तुलना में आगे बढऩे, लंबे समय तक रहने और अधिक फैलने की क्षमता रहती है।
तीन फैक्टर सबसे अहम
हवा के जरिये संक्रमण फैलने के लिए तीन फैक्टर महत्वपूर्ण हैं- संक्रमित व्यक्ति से नजदीकी, हवा का बहाव और टाइमिंग। ऐसे बॉथरूम, जिसमें खिड़की नहीं हैं और बहुत लोग जाते हैं, वहां खतरा है। दूसरी ओर खिड़की वाले और कम उपयोग के बाथरूम में जोखिम कम है। मास्क पहनने वाले पड़ोसी से घर के बाहर बातचीत सुरक्षित है। डच वैज्ञानिकों ने पाया है कि किसी दरवाजे या खिड़की को खोलने से ही बाहर मौजूद हवा के कण एरोसॉल गायब हो सकते हैं। सभी विशेषज्ञ कहते हें, भीड़ भरे इनडोर स्थानों से बचने के साथ लोगों को मास्क पहनना चाहिए। यदि मास्क वायरस से लदी बंदूको से पूरी तरह नहीं बचा पाएंगे तो वे शरीर में जाने वाले वायरस की मात्रा कम कर सकते हैं। जाहिर है, इस तरह संक्रमण की डोज कम हो जाएगी।