
पेइचिंग । चीन की महात्वाकांक्षाएं सिर चढ़कर बोल रही हैं अब उसके विधान मंडल ने हॉगकॉग के लिये विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा विधेयक के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। इस विधेयक को अर्ध-स्वायत्त हॉगकॉग के कानूनी और राजनीतिक संस्थानों को कमजोर करने वाला बताकर इसकी कड़ी आलोचना की गई थी। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले चार प्रकार के अपराधों से संबंधित इस विधेयक की समीक्षा के बाद इसे मंजूरी दे दी। हालांकि मसौदे में इन अपराधों और इनके तहत मिलने वाली सजा के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। हॉगकॉग स्थित एक अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हॉगकॉग की कानून व्यवस्था में शामिल किया जाएगा। इस कानून में मुकदमे का सामना करने के लिए आरोपियों को सीमा पार कर चीनी मुख्य भूभाग नहीं भेजा जाएगा। इस नए कानून से चीन की सुरक्षा एजेंसियों को पहली बार हॉगकॉग में अपने प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति मिल जाएगी।
बहरहाल हॉगकॉग बॉर एसोशिएसन ने कहा कि चीन का प्रस्तावित नया सुरक्षा कानून अदालतों में दिक्कतों में फंस सकता है क्योंकि बीजिंग के पास अपने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को पूर्व ब्रिटिश कॉलोनी के लिए लागू करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। इस कानून को लेकर हॉगकॉग में जबरदस्त विरोध हो रहा है। पेइचिंग हॉगकॉग की राजनीतिक उठापटक को अपने हाथ में लेने की कोशिश कर रहा है। बता दें कि हॉगकॉग ब्रिटिश शासन से चीन के हाथ 1997 में 'एक देश, दो व्यवस्था' के तहत आया और उसे खुद के भी कुछ अधिकार मिले हैं। इसमें अलग न्यायपालिका और नागरिकों के लिए आजादी के अधिकार शामिल हैं। यह व्यवस्था 2047 तक के लिए है। 1942 में हुए प्रथम अफीम युद्ध में चीन को हराकर ब्रिटिश सेना ने पहली बार हॉगकॉग पर कब्जा जमा लिया था। बाद में हुए दूसरे अफीम युद्ध में चीन को ब्रिटेन के हाथों और हार का सामना करना पड़ा। इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए 1898 में ब्रिटेन ने चीन से कुछ अतिरिक्त इलाकों को 99 साल की लीज पर लिया था। ब्रिटिश शासन में हॉगकॉग ने तेजी से प्रगति की।