
बिहार की 5 सीट पर 23 अप्रैल को तीसरे फेज में मतदान होना है। 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद देशभर में चुनावी माहौल गरमा गया है। बिहार की सुपौल लोकसभा सीट पर इस बार कांग्रेस और जेडीयू के बीच सीधा संघर्ष है। कांग्रेस की प्रवक्ता रंजीत रंजन फिर से सुपौल में चुनावी मैदान में उतरी हैं तो वहीं जेडीयू से दिलेश्वर कमैत फिर से एक बार उन्हें चुनौती देते नजर आएंगे। बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी जनता पार्टी, जय हिंद पार्टी, बिहार लोक निर्माण दल, वंचित समाज पार्टी, जम्मू एंड कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी, लोक सेवा दल, शिवसेना, आम जनता पार्टी राष्ट्रीय, जन अधिकार पार्टी, हिंद साम्राज्य पार्टी जैसे दलों के साथ 7 निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं।
28 मार्च को इस सीट के लिए नोटिफिकेशन निकला, 4 अप्रैल को नोमिनेशन की अंतिम तारीख, 5 अप्रैल को स्क्रूटनी और 8 अप्रैल नाम वापिसी की अंतिम तारीख थी। अब 23 अप्रैल के मतदान के लिए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है। लोकसभा चुनाव 2019 के तीसरे चरण में 14 राज्यों की 115 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है। मतदान का परिणाम 23 मई को आना है जिसमें तय होगा कि लोकतंत्र के इस सबसे बड़े आयोजन में किसको मिली जीत और किसे हार?
सुपौल बिहार का एक हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट है। सुपौल सहरसा जिले से 14 मार्च 1991 को विभाजित होकर अलग जिले के रूप में अस्तित्व में आया। सहरसा फारबिसगंज रेलखंड पर स्थित है सुपौल। सांस्कृतिक रूप से यह काफी समृद्ध जिला है। नेपाल से करीब होने के कारण यह सामरिक रूप से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। सुपौल से वर्तमान सांसद हैं कांग्रेस की प्रवक्ता रंजीत रंजन जो मधेपुरा से सांसद और जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव की पत्नी हैं।
क्षेत्रफल के आधार पर यह कोसी प्रमंडल का सबसे बड़ा जिला है। वीरपुर, त्रिवेणीगंज, निर्मली, सुपौल इसके अनुमंडल हैं। लोकगायिका शारदा सिन्हा एवं स्व. पंडित ललित नारायण मिश्र इसी इलाके से आते हैं। सुपौल प्राचीन काल में मिथिला राज्य का हिस्सा था। बाद में मगध तथा मुगल सम्राटों ने भी यहां राज किया। सुपौल को 1991 में जिला बनाया गया।
परिसीमन के बाद 2008 में सुपौल लोकसभा सीट अलग से अस्तित्व में आई। 2009 के चुनाव में यहां से जेडीयू के विश्व मोहन कुमार सांसद बने। 2009 के चुनाव में रंजीत रंजन ने सुपौल सीट से अपनी किस्मत आजमाई थीं। लेकिन तब रंजीत रंजन जेडीयू के विश्व मोहन कुमार से डेढ लाख वोटों से हार गई थीं। लेकिन 2014 का चुनाव रंजीत रंजन ने कांग्रेस के टिकट पर सुपौल सीट से लड़ा। मोदी लहर के बावजूद इस बार रंजीत रंजन ने 60000 वोटों से जेडीयू के उम्मीदवार दिलेश्वर कमैत को हरा दिया और लोकसभा पहुंचीं।