
नई दिल्ली । चीन की एशिया में बढ़ती दखलंदाजी को रोकने के लिए अमेरिका ने कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है। अमेरिका ने यूरोप से अपनी सेना हटाकर एशिया में तैनात करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरुआत वह जर्मनी से करने जा रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका जर्मनी में तैनात 52 हजार अमेरिकी सैनिकों में से 9,500 सैनिकों को एशिया में तैनात करेगा। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि चीन को भारत और दक्षिणपूर्व एशिया के लिए बड़ा खतरा पैदा कर दिया है।
अमेरिका यह कदम ऐसे समय में उठा रहा है कि जब चीन ने भारत में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है, तो दूसरी ओर वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपीन और साउथ चाइना सी में भी खतरा बना हुआ है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने चीन को भारत और दक्षिणपूर्व एशिया के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वे जरुरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें।
पोम्पिओ ने जर्मन मार्शल फंड के वर्चुअल ब्रसेल्स फोरम 2020 में एक सवाल के जवाब में यह कहा। पोम्पिओ ने कहा कि हम तय करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके। हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटाकर 25 हजार कर रहा है।
पोम्पिओ ने कहा सैनिकों की तैनाती जमीनी स्थिति की वास्तविकता के आधार पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम रहेंगे। पोम्पियों ने कहा कि कुछ अन्य जगह भी होंगे मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे की बात कही है, इसलिए अब भारत को खतरा, वियतनाम को खतरा, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा, दक्षिण चीन सागर की चुनौतियां हैं। अमेरिका ने खतरों को देखा है और समझा है कि साइबर, इंटेलिजेंस और मिलिट्री जैसे संसाधनों को कैसे बांटा जाए।