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 बॉर्डर पर थोड़ी सी शांति लेकिन बरकरार है तनातनी

 बॉर्डर पर थोड़ी सी शांति लेकिन बरकरार है तनातनी

नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव में थोड़ी सी नरमी देखने को मिली है। दोनों देशों में गलवान घाटी के आसपास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल जिन 4 क्षेत्रों में तनातनी बनी है, वहां मौजूद सैन्य दस्तों में मामूली सी कमी आई है। लेकिन अभी भी दोनों देश मोर्चे पर लामबंद हैं और कोई भी पीछे हटने के मूड में नहीं है। इसी सप्ताह भारत और चीन ने मिलिट्री कमांडर स्तर पर इस मसले को लेकर एक लंबी बातचीत की थी। लेकिन दोनों देशों की सेनाएं यहां से पीछे हटें इसके लिए अभी शायद अभी ऐसी और मीटिंग करनी होंगी। 15 जून को गलवान घाटी में हुए सैन्य संघर्ष के बाद भारत अब इस क्षेत्र से चीन को पीछे करने के लिए और भी सुदृढ़ उपायों पर जोर दे रहा है। सूत्रों की मानें तो अब इस स्थान को खाली करने की प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है। अगर दोनों देशों की बातचीत सकारात्मक रहती है, तब भी सर्दियों तक ही यह इलाका पहले वाली स्थिति में आ पाएगा। 
चीन एक साल से लगा था घुसपैठ में 
पूर्वी लद्दाख से सटे बॉर्डर पर चीन की घुसपैठ के संकेत पिछले साल अगस्त से मिलने लगे थे। दुर्बोक के एक निवासी का दावा है कि अगस्त 2019 में ही गलवान घाटी और दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में एग्रेशन के शुरुआती निशान दिखे थे। स्थानीय निवासी के मुताबिक सेना को खबर की गई थी कि चीनी सैनिक उसके दो घोड़े लेकर चले गए हैं जब वे भारतीय इलाके में चर रहे थे। इस लोकल का दावा है कि उसे चुप रहने को कहा गया और मुआवजे की बात की गई जो अबतक नहीं मिला। उसने स्थानीय प्रशासन पर भी चुप रहने का आरोप लगाया है।
बॉर्डर के पास वाले गांव टेंशन में
साल 2018 में पूर्वी लद्दाख के देमचोक इलाके में न्योमा के ब्लॉक डेवलपमेंट चेयरपर्सन के परिवार की पांच याक गायब हो गई थीं। वे अबतक चीनी कस्टडी में हैं। दोनों देशों के बीच हालिया तनाव ने बॉर्डर के पास वाले गांवों में रहने वालों को परेशान कर दिया है। दुर्बोक के ही सोनम इसी हफ्ते अपने गांव से कारू वापस लौटे हैं। उन्होंने कहा, हमारे इलाके में सैनिकों का बहुत ज्यादा मूवमेंट है। लोकल्स चिंतित हैं और अपनी जिंदगी और परिवार वालों की जिंदगी को लेकर चिंतित हैं। कई सेना और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के साथ पोर्टर बनकर जाते हैं।
 

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