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टीका की प्रक्रिया स्वीकार्य नियमों के अनुरूप  -आईसीएमआर ने दिया ये जवाब

टीका की प्रक्रिया स्वीकार्य नियमों के अनुरूप  -आईसीएमआर ने दिया ये जवाब

नई दिल्ली । भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 15 अगस्त तक कोरोना वायरस के टीके को लाने की योजना के तहत क्लीनिकल परीक्षण की प्रक्रिया तेज करने के कदमों का बचाव करते हुए कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह वैश्विक रूप से स्वीकार्य नियमों के अनुरूप है। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा कोविड-19 का टीका जल्दबाजी में नहीं बनाने की सलाह के बाद आईसीएमआर ने कहा कि उसके महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव के, क्लीनिकल परीक्षण स्थलों के प्रमुख अन्वेषकों को लिखे पत्र का आशय किसी भी आवश्यक प्रक्रिया को छोड़े बिना अनावश्यक लाल फीताशाही को कम करना तथा प्रतिभागियों की भर्ती बढ़ाना है। 
अनेक विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि आईसीएमआर ने जो समयसीमा निर्धारित की है, वह कारगर नहीं साबित हो सकती। इन चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान इकाई ने एक बयान में कहा, ‘‘सर्वश्रेष्ठ तरीकों और सावधानी के बाद परीक्षण किये जाएंगे।’’ उसने कहा, ‘‘आईसीएमआर की प्रक्रिया पूरी तरह महामारी के लिए टीका बनाने की प्रक्रिया को तेज करने के वैश्विक रूप से स्वीकार्य नियमों के अनुरूप है जिसमें मनुष्य और पशुओं पर परीक्षण समानांतर रूप से चल सकता है।’’ बयान में कहा गया कि व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य हित में आईसीएमआर के लिए एक प्रभावशाली स्वदेशी टीके के नैदानिक परीक्षण को तेज गति प्रदान करना महत्वपूर्ण है। आईसीएमआर ने कहा कि वह भारत के लोगों की सुरक्षा और हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें कहा गया, ‘‘सार्वजनिक रूप से समय समय पर टिप्पणीकारों द्वारा उठाये जाने वाले मुद्दों का स्वागत है क्योंकि वे महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं देते हैं, लेकिन भारत के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पेशेवरों और अनुसंधान वैज्ञानिकों को उनके पेशेवर तौर-तरीकों या सर्वोच्च वैज्ञानिक सावधानियों के पालन के लिए आंका नहीं जाना चाहिए।’’ 
भार्गव ने दो जुलाई को चयनित चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों के प्रमुख अन्वेषकों को भारत बायोटेक के साथ साझेदारी में विकसित किये जा रहे टीके ‘कोवेक्सिन’ के लिए मनुष्य के ऊपर परीक्षण की मंजूरी जल्द से जल्द देने को कहा है। आईसीएमआर के बयान में कहा गया कि दुनियाभर में इस तरह के विकसित किये जा रहे सभी अन्य टीकों पर भी काम तेज कर दिया गया है।आईसीएमआर ने कहा कि नये स्वदेश निर्मित जांच किट को त्वरित मंजूरी देने या कोविड-19 की प्रभावी दवाओं को भारतीय बाजार में उतारने में लाल फीताशाही को रोड़ा नहीं बनने देने के लिए स्वदेशी टीका बनाने की प्रक्रिया को भी, फाइलें धीरे-धीरे बढ़ने के चलन से अलग रखा गया है। आईसीएमआर ने एक बयान में कहा, ‘‘इन चरणों को जल्द से जल्द पूरा करने का मकसद है कि बिना देरी के जनसंख्या आधारित परीक्षण किये जा सकें। आईसीएमआर ने कहा कि भारत के औषधि महानियंत्रक ने क्लीनिकल परीक्षणों से पूर्व के अध्ययनों से उपलब्ध आंकड़ों की गहन पड़ताल पर आधारित ‘कोवेक्सिन’ के मानव परीक्षण के चरण 1 और 2 के लिए मंजूरी दी है। 
 

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