
2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटें, भारतीय जनता पार्टी ने जीतकर कीर्तिमान रचा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और आईबी की रिपोर्ट के अनुसार इस बार भारतीय जनता पार्टी 19 सीटों पर जीत सकती है। 7 सीटों पर कड़ी टक्कर है। शहरी क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के विरोध में वातावरण होने से कांग्रेस मजबूत नजर आ रही हैं।
इस स्थिति को देखते हुए गुजरात भाजपा ने एक बार फिर इमोशनल कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। गुजराती अस्मिता और गुजरात गौरव की बात करके भाजपा अपनी ओर मतदाताओं को आकर्षित करने में लगी हुई है। भारतीय जनता पार्टी ने इसके अलावा कांग्रेस में तोड़फोड़ करके कांग्रेसी विधायकों एवं नेताओं को भारतीय जनता पार्टी मैं लाने का सुनियोजित प्रयास किया था, इसमें काफी सफलता मिली। किंतु इसके बाद भी 7 सीटों पर कांग्रेस की पकड़ बहुत मजबूत है विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों और पटेलों का समर्थन कांग्रेस पार्टी को मिला था। कांग्रेस इस बार कल्पना कर रही है कि उसे गुजरात में 8 से 10 सीटों पर विजय प्राप्त होगी।
सौराष्ट्र और कच्छ में 2 सीटों पर कांग्रेस मजबूत
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 7 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। किंतु इस बार बदली हुई परिस्थितियों में पोरबंदर अमरेली और जूनागढ़ में कड़ी टक्कर है। यहां से 2 सीटें कांग्रेस को मिल सकती हैं।
उत्तर गुजरात
पाटन में भारतीय जनता पार्टी ने भरत डाबी को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने जगदीश ठाकोर को टिकट दी है। पाटन और साबरकांठा में भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है। बनासकांठा में भी इस बार भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती मिल रही है।
मध्य गुजरात
मत गुजरात की 9 में से 8 सीटों पर भाजपा की स्थिति मजबूत है। वर्तमान स्थिति में आणंद सीट से कांग्रेस के भरत सिंह सोलंकी मजबूत स्थिति में है। पंचमहल, सुरेंद्र नगर मैं भाजपा को अपने ही लोगों से कड़ी चुनौती मिल रही है। वहीं भरूच में त्रिकोणीय संघर्ष का फायदा भाजपा को हो रहा है। मध्य गुजरात में आणंद की सीट कांग्रेस को मिलना तय माना जा रहा है।
दक्षिण गुजरात
भाजपा की सबसे मजबूत स्थिति दक्षिण गुजरात की 4 लोकसभा सीटों पर है। सूरत बारडोली नवसारी वलसाड और दमन दीप में भाजपा का मार्जिन कम होगा। लेकिन जीत पक्की मानी जा रही है। इसके बाद भी गुजरात में भारतीय जनता पार्टी को लगभग 7 सीटों पर पराजय का सामना करना पड़ सकता है। 2014 की तुलना में 2019 में भाजपा को नुकसान होना तय माना जा रहा है।