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 हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का नहीं दिखा लाभ, दवा का क्लीनिकल ट्रायल बंद करेगा डब्ल्यूएचओ

 हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का नहीं दिखा लाभ, दवा का क्लीनिकल ट्रायल बंद करेगा डब्ल्यूएचओ

बर्लिन । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि वह अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार में मलेरियारोधी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभावी होने या नहीं होने संबंधी ट्रायल बंद कर रहा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसने परीक्षण की निगरानी कर रही समिति की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एचआईवी/एड्स के मरीजों के उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा लोपिनाविर/रिटोनाविर के परीक्षण को रोक देने की सिफारिश स्वीकार कर ली है। संगठन ने कहा अंतरिम परिणाम दर्शाते हैं हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और लोपिनाविर/रिटोनाविर के इस्तेमाल से अस्पताल में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की मृत्युदर में कोई कमी नहीं आई या मामूली कमी आई।
अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों को ये दवाएं दी गईं, उनकी मृत्युदर बढ़ने का भी कोई ठोस साक्ष्य नहीं है, वहीं इससे जुड़े परीक्षण के क्लीनिकल प्रयोगशाला परिणाम में इससे जुड़े सुरक्षा संबंधी कुछ संकेत मिले हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा यह फैसला उन मरीजों पर संभावित परीक्षण को प्रभावित नहीं करेगा, जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं या कोरोना वायरस के संपर्क में आने की आशंका से पहले या उसके कुछ ही देर बाद दवा ले रहे हैं।
 

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