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 चीन, रूस, ईरान से मिलती चुनौती- अमेरिकी नेवी अपने जंगी बेड़े को और हाई-टेक बनाने में जुटी - यूएस नेवी तैयार कर रही 'अदृश्य' हथियारों का बेड़ा

 चीन, रूस, ईरान से मिलती चुनौती- अमेरिकी नेवी अपने जंगी बेड़े को और हाई-टेक बनाने में जुटी - यूएस नेवी तैयार कर रही 'अदृश्य' हथियारों का बेड़ा

वाशिंगटन । कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे अमेरिका को चीन और रूस के साथ-साथ ईरान की नौसेना से भी चुनौती मिल रही है। ऐसे में इससे निपटने के लिए अमेरिकी नेवी ने अपने जंगी बेड़े को और ज्यादा एडवांस्ड और हाई-टेक बनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। नेवी 2023 तक लेजर डिफेंस सिस्टम से लैस 7 और युद्धपोत बनाने का लक्ष्य तय किया है। इनके अलावा एक का टेस्ट मई में किया जा चुका है। इन हथियारों के दम पर अमेरिका की नेवी वॉरशिप अपने टारगेट को हवा में ही मारने की ताकत हासिल कर सकती हैं। इसमें खास बात यह है कि यह एक हाई-एनर्जी लेजर हथियार है। लेजर रेज आंखों को दिखाई नहीं देती हैं, सीधे असर करती हैं। अमेरिकी नेवी के नेवल रिसर्च ऑफिस में सीनियर टेक्नॉलजिस्ट फ्रैंक पीटरकिन के मुताबिक नेवी ऑप्टिकल डैजलिंग इंडिकेटर नेवी (ओडीआईएन) लेजर डिफेंस सिस्टम को अगले तीन साल में अलग-अलग युद्धपोतों में लगाने का प्लान बनाया है।
इस टेस्ट का ऐलान नेवी के पैसिफिक फ्लीट ने किया था। साल की शुरुआत में चीन के नेवी डिस्ट्रॉयर ने अमेरिका के नीव मैरिटाइम पट्रोल एयरक्राफ्ट को लेजर बीम से निशाना बनाया था। पीटरकिन ने मंगलवार को एक पॉडकास्ट के दौरान कहा कि डायरेक्टेड एनर्जी के क्षेत्र में सहयोग के लिए स्वर्णिम दौर चल रहा है और मिलिट्री की सभी शाखाएं लेजर हथियार तैनात करने और उनकी शक्ति बढ़ाने के तरीकों पर काम कर रही हैं। हालांकि, पेंटागन में कई लोग अभी भी डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स को साइंस फिक्शन ही मानते हैं। इस पर पीटरकिन का कहना है कि जंग में जाने वाले लोग जब इन हथियारों को हाथ लगाएंगे, इस्तेमाल करेंगे और काम करता देखेंगे, तो उन्हें भरोसा होगा।
ओडीआईएन का इस्तेमाल हवा में किसी मिसाइल या एयरक्राफ्ट को मार गिराने के लिए बल्कि 'डैजल' के जरिए लेजर बीम से रेकी या निशाना लगाने आ रहे ड्रोन या मिसाइल के सिस्टम में रुकावट पैदा करने के लिए किया जाएगा। पीटरकिन का कहना है कि ओडीआईएन को फ्लाइट 2 अरलीग ब्रुक-क्लास युद्धपोत जैसे डीवे, सेन एंटेनियों-क्लास ट्रांसपोर्ट डॉक और लिट्रोरल जंगी जहाजों पर लगाया जा सकता है। विमानवाहक पोतों पर भी लेजर लगाए जाने पर चर्चा की जा रही है। नेवी ड्रोन्स और मिसाइलों पर भी ध्यान दे रही है। ईरान की मिलिट्री मानवरहित एयरक्राफ्ट की मदद से अमेरिका के नौसैनिक बेड़ों के नजदीक आकर रेकी कर चुका है और खतरनाक ऐंटी-शिप मिसाइलें भी रखता है। वहीं, पैसिफिक में चीन के पास लंबी रेंज की ऐंटी-शिप मिसाइलें हैं जिनसे अमेरिका के बेड़े को बड़ा खतरा है। पीटरकिन का कहना है कि नेवी ऐसे लेजर (इनट्रीग्रेटिड ओप्टीकल-डाजलर के साथ हाई एमर्जी लेसरएंड सर्विलांस (होलीस) और लेसर वेपनन्स सिस्टम डिमोंस्ट्रेटर (एलडब्ल्यूएसडी) पर भी काम कर रहा है जो मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकें। दोनों की पावर 150 किलोवाट होगी। इससे पहले मई में यूएसएस पोर्टलैंड डॉक शिप लेजर टेस्टिंग करता देखा गया था। इसमें फर्स्ट सिस्टम-लेवल की हाई-एर्जी क्लास सॉलिड-स्टेट लेजर का इस्तेमाल किया गया था। इसने हवा में ड्रोन एयरक्राफ्ट को मार गिराया था। इससे पहले फरवरी में गुआम से 380 मील पश्चिम की ओर चीन की ओर से अमेरिकी क्राफ्ट को निशाना बनाया गया था। इसके बाद अमेरिका की नेवी ने कहा था कि लेजर के इस्तेमाल से क्रू और मरीन सैनिकों को नुकसान हो सकता है। साथ ही शिप और एयरक्राफ्ट सिस्टम भी खराब हो सकते हैं।
 

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