
वाशिंगटन । कोरोनाकाल में लॉकडाउन और उसके बाद वर्क फ्रॉम होम की नई व्यवस्था ने काफी के प्याले के तूफान को भी थाम दिया है। घरों में सिमटी हुई दुनिया में स्थानीय कैफे में जाकर कॉफ़ी पीना एक अतीत की बात बन गई है। घर में रहकर लोग कितनी भी कॉफ़ी पी लें, लेकिन कॉफ़ी का जितना उपभोग बाहर कैफे आदि में जितना हो रहा था उसकी तुलना में बहुत कम है। यही कारण है कि अमेरिका के कॉफी विभाग ने 2011 के बाद पहली बार इस साल वैश्विक कॉफी की खपत को कम करने की तैयारी कर ली है। कैफे और रेस्तरां में आमतौर कॉफ़ी की कुल मांग की 25फीसदी खपत थी और कोरोना महामारी के कारण कैफे और रेस्तरां के बंद होने के कारण कॉफ़ी के उपभोग को दुबारा अपने पुराने स्तर पर पहुंचने में बहुत अधिक समय लग सकता है।
कैफे संस्कृति का लुप्त होना सामाजिक सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। बाहर लोगों के साथ या अकेले भी कॉफ़ी पीना एक सामाजिक कार्य जैसा है जिसमें आप समाज के साथ एक जुड़ाव महसूस करते हैं। कई सालों से बंपर फसल होने के कारण कॉफ़ी उत्पादक किसान पहले से ही वित्तीय संकट झेल रहे थे। सिटीग्रुप इंक ने भविष्यवाणी की है कि साल की दूसरी छमाही में एरेबिक कॉफ़ी बीन्स के दाम में करीब 10 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इसी बीच अंतर्राष्ट्रीय कॉफी संगठन ने कॉफ़ी उत्पादक क्षेत्रों में बाल श्रम के खतरों के बारे में चेतावनी दी है क्योंकि कॉफ़ी उत्पादक किसानों में गरीबी बहुत बढ़ गई है। लंदन में प्रतिबंधों में ढील देने के बावजूद एक नामी कॉफी-शॉप श्रंखला की 10 शाखाएं बंद हो गई हैं जो आसपास के कर्मचारियों की कॉफ़ी की मांग पूरा करती थीं। लंदन में इस साल कई कार्यालय गर्मी के बाद भी नहीं खुले हैं और कुछ के अगले साल ही खुलने की संभावना है। ऐसे में प्रतिबंधों में ढील देने के बाद भी इन कैफे में भीड़ नहीं जुटेगी। उपभोक्ताओं में अभी भी इन जगहों पर आकर कुछ खाने पीने में झिझक दिख रही है।
कोरोनो वायरस महामारी के कारण डंकिन ब्रैंड्स ग्रुप इंक में ब्रैकफास्ट करने आने वाली भीड़ बहुत कम हो गई है जबकि स्टारबक्स कॉर्प जो कि एक लोकप्रिय हैंग-आउट कैफ़े है, ने अपने मॉडल को ही बदलने की तैयारी कर ली है। स्टारबक्स एक "पिकअप" स्टोर के फॉर्मेट को लेकर आ रहा है जिसमें टेबल और कुर्सियों वाले उसके पारंपरिक रूप से अलग व्यवस्था होगी।