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चीन गलवान में मारे गए अपने सैनिकों का नहीं होने दे रहा अंतिम संस्कार

चीन गलवान में मारे गए अपने सैनिकों का नहीं होने दे रहा अंतिम संस्कार

वाशिंगटन । गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के दौरान मारे गए अपने सैनिकों को पहचानने के लिए चीन तैयार नहीं है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की सरकार सैनिकों के परिवारों पर दबाव बना रही है कि वे शवयात्रा और अंतिम संस्कार समारोह का आयोजन न करें। आपको बता दें कि भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। इसके साथ ही चीन के भी 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे। भारत ने बिना किसी हिचकिचाहट के सैनिकों के शहादत की बात को स्वीकार कर ली थी और शहीदों को सम्मानपूर्वक अंतिम विदाई दी थी। वहीं चीन लगातार सैनिकों की मौत की बात से इनकार कर रहा है।
उधर, चीन की बात करें तो सैनिकों के मारे जाने पर दुख जताना तो दूर, वहां उनके परिजनों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। पहले तो चीन की सरकार ने इस घटना के बाद सैनिकों के हताहत होने की बात स्वीकार ही नहीं की और अब सैनिकों को दफनाने से भी इनकार कर दिया है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी खुफिया आकलन के अनुसार, चीन इस बात को स्वीकार नहीं कर रहा है कि हिंसक झड़प के दौरान उसके सैनिकों को मारा गया। ऐसा वह इसलिए नहीं कर रहा है कि अपनी एक बड़ी भूल को छुपा सके। पूर्वी लद्दाख में चीन को यथास्थिति को बदलने के एकतरफा प्रयास के दौरान हिंसक झड़प का सामना करना पड़ा था। भारत ने साफ-साफ कहा है कि यदि चीन द्वारा उच्चस्तरीय समझौतों पर अमल किया गया तो स्थिति को टाला जा सकता है। आपको बता दें कि चीन सरकार ने अब तक अपने कुछ ही अधिकारियों की मौत की बात को स्वीकार किया है। भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीन के करीब 43 सैनिक या तो मारे गए थे या फिर घायल हुए थे। वहीं, अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने हिंसक झड़प के दौरान चीन के 35 सैनिकों की मौत की पुष्टि की है।
इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्र ने बताया, 'चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने झड़प में मारे गए सैनिकों के परिवारों से कहा है कि उन्हें पारंपरिक दफन समारोह और सैनिकों के अवशेषों का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए। कोई भी अंतिम संस्कार किसी एकांत इलाके में होना चाहिए। हालांकि सरकार ने इसके लिए कोरोना संक्रमण का हवाला दिया है। यह गलवान संघर्ष में मारे गए सैनिकों के बारे में किसी भी तरह की याद को मिटाने की कोशिश है।
 

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