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 जिम्बाब्वे : कोरोना संकट में कारें बनी चलते-फिरता बाजार  

 जिम्बाब्वे : कोरोना संकट में कारें बनी चलते-फिरता बाजार  

हरारे । कोरोनाकाल में जिम्बाब्वे में कारोबार पूरी तरह चौपट होने के कारण अब कारों ने चलते-फिरते बाजार का रूप ले लिया हैं। कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित अर्थव्यवस्था के दौर में अपने सामान वाहनों से बेच रहे हैं। राजधानी हरारे में सड़कों पर ऐसी खुली कारें दिख जाएंगी जिनमें रंग-बिरंगा सामान सजाया गया है। ऐसी ही एक मर्सीडीज में चावल, चीनी और मोमबत्तियों के पैकेट के साथ बच्चों के कपड़े, सफेल कंबल बड़े करीने से बेचने के लिए सजाकर रखे गये हैं। इस तरह से बिना लाइसेंस के फेरी लगाना अवैध है और पुलिस ने कुछ फेरीवालों को गिरफ्तार भी किया है लेकिन फिर भी सड़कों पर बड़ी संख्या में ऐसे विक्रेता दिख जाएंगे। मैकेनिक की नौकरी छूटने के बाद शेल्टन मरांजे सब्जियां बेचने को मजबूर हो गए। वह सुबह से निकलते हैं और अंधेरा होने तक जगह-जगह जाकर सब्जियां बेचते हैं। कोरोना वायरस संकट शुरू होने से पहले से जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था खराब चल रही थी। लोग रोजगार के अभाव और पानी, बिजली तथा गैस की कमी के संकट से जूझ रहे थे। इस वर्ष यहां की अर्थव्यवस्था में दस फीसदी से अधिक की गिरावट आने की आशंका है। पहले से खराब चल रही अर्थव्यवस्था और अब कोरोना वायरस के कारण लगी पाबंदियों के चलते यहां चल रहे गिने चुने उद्योग और कंपनियां भी या तो बंद हो गए या फिर उनमें से लोगों को निकाला जा रहा है। जिम्बाब्वे नेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुमान के मुताबिक, संगठित क्षेत्र की 25 फीसदी नौकरियां जा सकती हैं। जिम्बाब्वे कांग्रेस ऑफ ट्रेड यूनियन्स के अध्यक्ष पीटर मौटासा के मुताबिक आंकड़े इससे अधिक हो सकते हैं। 
 

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