
कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए आजकल ऑललाइन क्लास का दौर चल रहा है पर इस दौरान मोबाइल का अघिक उपयोग बच्चों को बीमार बना रहा है। यहां तक कि बच्चे अकसर थके-थके नजर आते हैं, नींद कम होने के साथ ही उनकी उनकी दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है। इस प्रकार के प्रभाव को तकनीकी भाषा में (टेक्नोफेरेंस) कहा जाता है। वहीं एक अध्ययन में टेक्नोफेरेंस से प्रभावित बच्चों की तादाद बढ़ती हुई पायी गयी है।
स्मार्ट फोन और कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से बच्चे के शारीरिक और मानसिक रुप से बीमार होने की आशंकाएं भी बढ़ गयी हैं।
पिछले 5 सालों में किशोरों की जीवनशैली में बहुत हैरान कर देने वाला बदलाव आया है। आजकल किशोर अपना ज्यादा समय आउटडोर एक्टिविटी के बजाए स्मार्ट फोन और इंटरनेट पर गुजारते हैं। डिजिटल डिवाइस के नकारात्मक असर के कारण टीनेजर्स मानसिक तनाव का भी शिकार होते जा रहे हैं।
साथ ही अध्ययन की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जो बच्चे अपना ज्यादा समय आउटडोर गेम्स, सोशल इंटरेक्शन, पढ़ाई, व्यायाम में लगाते हैं, वो लोग कम ही अवसाद का शिकार होते हैं।
इंटरनेट उपयोग पर रखें नजर
अगर आप भी इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि आपका बच्चा इंटरनेट पर क्या देखता है तो बड़ी गलती कर रहे हैं।
आम तौर पर देखा गया है कि माता-पिता अपने बच्चों द्वारा देखे जाने वाले ऑनलाइन कंटेंट की निगरानी नहीं करते, जो काफी चिंताजनक है। यह सर्वे ऑनलाइन और सुरक्षा को लेकर लोगों के लापरवाही भरे नजरिए को दिखाता है।
सर्वे से पता चला है कि इंटरनेट का उपयोग करने वाले अधिकांश लोग अपने व्यक्तिगत जीवन में साइबर सिक्योरिटी के तरीकों को जाने-अनजाने में उपेक्षा करते हैं। उनके बच्चे ऑनलाइन क्या कंटेंट देख रहे हैं, इस पर वे नजर नहीं रखते हैं।
इससे जाने या अनजाने में ही बच्चे इंटरनेट का गलत उपयोग करते हैं और इसके परिणाम काफी गंभीर होते हैं।