
वाशिंगटन । बढ़ते तनावपूर्ण रिश्तों की वजह से अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के वाणिज्य दूतावास बंद करने के निर्णय से आपस में बहुत नुकसान पहुंचाया है। इस कदम से उन्होंने क्षेत्रों की निगरानी और जासूसी करने की एक-दूसरे की क्षमता को भी कम किया है।
अमेरिका के लिए दक्षिणपश्चिम चीन में चेंगदू वाणिज्य दूतावास का बंद होना तिब्बत में उसकी निगरानी को कमजोर करता है जो एक ऐसा क्षेत्र है जहां बौद्ध निवासियों का कहना है कि बीजिंग उनकी सांस्कृतिक और पारंपरिक आजादी को खत्म कर रहा है। चीन का कहना है कि तिब्बत सदियों से उसका क्षेत्र रहा है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार चीन के लिए ह्यूस्टन वाणिज्य दूतावास का बंद होना उसके जासूसी नेटवर्क के केंद्र का खात्मा होना है। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी और नवंबर में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के मद्देनजर अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण चल रहे रिश्तों में एक-दूसरे के वाणिज्य दूतावास बंद करने से और खटास पैदा हो गई है। महामारी से निपटने में नाकाम रहने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहे ट्रंप इस महामारी के लिए चीन को दोषी ठहराते रहे हैं।
शंघाई में 2008 से 2011 तक अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में महावाणिज्य दूत के तौर पर काम कर चुकी बीट्रिस कैम्प ने कहा कि रिश्तों में तनाव से कृषि, ऊर्जा, विमानन, पर्यावरण और वाणिज्यिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र पर असर पड़ेगा। प्रत्येक शहर में वीजा मांगने वाले चीनी और अमेरिकी नागरिकों को परेशानी होगी। ह्यूस्टन में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने चीन के जासूसी नेटवर्क के केंद्र को हटा दिया है जो 25 से अधिक शहरों में फैला हुआ था, खुफिया जानकारी एकत्रित कर रहा था और असंतुष्टों के निर्वासित परिवारों को चीन लौटने के लिए विवश करने की कोशिश करते हुए उनका उत्पीड़न कर रहा था।