
लंदन । दुनिया में कोरोना वायरस को लेकर शोधकार्य जारी हैं। इलाज और वैक्सीन से लेकर सार्स कोव-2 के बर्ताव पर भी शोध चल रहे हैं। इसी कड़ी में ताजा शोध में दावा किया गया है, कि कोविड-19 मरीज से 9 दिन बाद संक्रमण नहीं फैलता। वायरस को लेकर यह बहुत बड़ा दावा माना जा रहा है। हाल ही में शोधकर्ताओं ने 98 शोधों के आंकड़ों का अध्ययन कर इस नतीजे पर पहुंचे है। रिपोर्ट के अनुसार अगर कोविड-19 मरीज के गले, नाक, मल में नौ दिन बाद भी कोरोना वायरस की मौजूद है,तब भी उससे संक्रमण नहीं फैलता है। अध्ययन में बताया गया है कि वायरस का जो जेनेटिक पदार्थ यानि कि आरएनए गले में 17 से 83 दिन तक रहता है। लेकिन यह आरएनए खुद संक्रमण नहीं फैलाता। शोधपत्र में प्रमुखता से कहा गया है कि सार्स कोव-2 का आरएनए लंबे समय तक श्वसन तंत्र और मल में पाया जाता है, लेकिन संक्रमण में सक्षम वायरस कम ही समय के लिए रह पाता है। इस कारण आरएनए की मौजूदगी का मिलना यह नहीं बताता कि मरीज से संक्रमण फैल सकता है।
शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में कहा है कि बहुत से अध्ययनों का मानना है कि सार्स कोव-2 संक्रमित मरीजों में वायरल लोड बुखार के पहले सप्ताह में बहुत ज्यादा होता है, यह लक्षण दिखने पहले 5 दिन में सबसे ज्यादा संक्रमण फैलाने में सक्षम होता है। इसका मतलब यह हुआ कि बहुत से मरीजों का जब तक टेस्ट होता है तब के वे अपने संक्रमण फैलाने का समय काफी कुछ निकाल चुके होते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे स्पष्ट होता है कि मरीज को शुरुआती दिनों में आईसोलेट करना कितना अहम है। इसके अलावा जिन संक्रमितों में लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं, वे भी शुरुआत में ही संक्रमण ज्यादा फैला सकते हैं। रिपोर्ट से एक फायदा हो सकता है कि किसी मरीज को अस्पताल में लंबे समय तक रखने की जरूरत खत्म की जा सकती है। इससे दूसरे मरीजों का इलाज जल्दी हो सकेगा और अस्पताल और स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी दबाव कम होने की पूरी संभावना है।