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 साइकिलिस्ट के सपने को राष्ट्रपति ने दी उड़ान

 साइकिलिस्ट के सपने को राष्ट्रपति ने दी उड़ान

गाजियाबाद । गाजियाबाद के रहने वाले रियाज की कहानी कुछ ऐसी ही है, जिसकी प्रतिभा की कहानी देश के सर्वोच्च और प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक पहुंची लेकिन देश के लिए मेडल लाने के उसके सपने के सफर में उसके हालात बड़ा रोड़ा बन रहे हैं। दिल्ली के आनंद विहार सर्वोदय स्कूल की क्लास 9 में पढ़ने वाले रियाज के पैर जब साइकिल की पेडल पर पड़ते हैं तो साइकिल हवा से बातें करने लगती हैं। 16 साल का यह लड़का 100 किलोमीटर तक साइकिल चला लेता है क्योंकि यह उसकी ट्रेनिंग का हिस्सा है। लेकिन महाराजपुर की तंग गलियों में रियाज की जिंदगी बदहाली से जूझ रही है।महज 3 साल साइकिल चलाते हुए रियाज की प्रतिभा की भनक महामहिम राष्ट्रपति तक पहुंची। 31 जुलाई को राष्ट्रपति ने रियाज को न सिर्फ सम्मान दिया बल्कि उसकी प्रतिभा पूरे करने के लिए उसे एक आधुनिक तेज रफ्तार वाली साइकिल भी तोहफे में दी। रियाज ने कहा कि वह तोहफा उनके लिए इस साल की ईदी थी। महाराजपुर की गलियों में रियाज का घर महज एक कमरे का है। माता-पिता गांव में रहने चले गए। एक छोटा सा सिलेंडर, टूटा फूटा चूल्हा, कुछ कपड़े और यही कुल जमा पूंजी है रियाज की। राष्ट्रपति से मिलने वाले तोहफे के पहले रियाज के पास एक और साइकिल थी लेकिन वह भी उसकी अपनी नहीं है। यहां तक कि जिन जूतों से 16 साल का यह लड़का अपने हुनर को निखार कर देश के लिए मेडल लाने की चाह रखता है, वह जूते भी किसी और ने दिए थे जो अब फटे हुए हैं। दो वक्त की रोटी के लिए रियाज एक ढाबे पर भी काम करते रहे ताकि गुजारा चल सके। रियाज कहते हैं कि मैंने हर काम सीखा है और इसीलिए 6000 रुपये की नौकरी ढाबे पर भी की ताकि मेरी ट्रेनिंग चलती रहे। अपने हौसले और सपनों को उड़ान देने के लिए इस 16 साल के युवा ने हर मुमकिन कोशिश की ताकि वह देश का नाम रोशन कर सके। रियाज दिल्ली के आनंद विहार के सरकारी स्कूल में पढ़ता है। स्कूल से कुछ ज्यादा मदद नहीं मिली। यहां तक कि अपनी ट्रेनिंग पूरा करने के लिए क्लास भी बंक की जिसके चलते नौवीं कक्षा में कंपार्टमेंट मिला। रियाज कहते हैं कि चाहे कुछ भी हो, मैं अपने देश के लिए मेडल लेकर आऊंगा, मेरा यही सपना है।

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