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 सांस को कुछ समय के लिए होल्ड करना भी जरुरी -ऑक्सीजन ब्लड के फ्लो को रेग्युलेट करने में सहायक

 सांस को कुछ समय के लिए होल्ड करना भी जरुरी -ऑक्सीजन ब्लड के फ्लो को रेग्युलेट करने में सहायक

नई दिल्ली । आज के समय में ज्यादातर लोग इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि उनका सांस लेने का तरीका बेहतर हो ताकि अधिक से अधिक ऑक्सीजन को ग्रहण किया जा सके। शरीर में पहुंचकर यही ऑक्सीजन ब्लड के फ्लो को रेग्युलेट करने और इम्युनिटी बढ़ाने में सहायता करती है। सांस को कुछ समय के लिए होल्ड करना भी उतना ही जरूरी है, जितना जरूरी है सांस लेना। लेकिन उस तरफ हममें से अधिकतर लोग ध्यान नहीं देते हैं। दरअसल, जब हम गहरी सांस लेते हैं और सांस के जरिए फेफड़ों में भरी गई ऑक्सीजन को कुछ देर शरीर के अंदर रोककर रखते हैं तो इससे हमारे फेफड़ों को मजबूती मिलती है। हममें से ज्यादातर लोग नाक से ही सांस लेते हैं लेकिन अक्सर लोग सोते समय अपने मुंह से सांस लेने लगते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग दिन के समय में भी मुंह से सांस लेते हैं। लेकिन मुंह से सांस लेने की जगह नाक से सांस लेना अधिक लाभकारी होता है। इसकी वजह यह है कि नाक से सांस लेने के दौरान हवा में मौजूद महीन कण श्वांस नली में नहीं पहुंच पाते हैं। क्योंकि नाक के अंदर मौजूद महीन बाल और फ्लूड इन महीन कणों को रोकने का काम करते हैं। ये कण नॉस्टल्स के इन बालों में अटक जाते हैं और इस फ्लूइड में चिपक जाते हैं। इससे शरीर के अंदर नहीं जा पाते हैं। जो लोग हर समय नाक से सांस लेते हैं यानी जागते समय भी और सोते समय भी तो ऐसे लोगों को अस्थमा, खर्राटे लेना जैसी समस्याओं से बचे रहने में सहायता मिलती है। 
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो लोग सांस बहुत सही तरीके और सही रिद्म (सांस लेने और सांस छोड़ने की प्रक्रिया) का ध्यान रखते हुए लेते हैं, उन्हें अपना वजन नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है। नाक से सांस लेने के चलते हम बदलते मौसम में होनेवाली कई तरह की एलर्जी से सुरक्षित रहते हैं। ब्रेन और बॉडी में ऑक्सीजन का स्तर सही रहता है। इससे तनाव (स्ट्रेस) का स्तर कम रहता है। एकाग्रता बनाए रखने में सहायता मिलती है। मुंह से सांस लेने के सेहत को कई नुकसान होते हैं। सबसे पहली और बड़ी दिक्कत तो यही है कि अधिकतर लोग जो मुंह से सांस लेते हैं, उन्हें खर्राटे लेने की समस्या हो जाती है। मुंह से सांस लेने के बाद सीने में भारीपन, जकड़न और मानसिक थकान का अहसास बना रहता है। जो लोग मुंह से सांस लेते हैं उन्हें अक्सर मुंह में सूखेपन की समस्या होती रहती है यानी मुंह में ड्राईनेस रहना, अधिक होंठ फटना जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 
मालूम हो ‎कि समय-समय पर हम आपको उन अच्छी बातों के बारे में बताते रहते हैं, जो कोरोना के कारण हमारे जीवन में अपनी जगह बना पाई हैं। यह सही है कि हमारा देश ऋषि-मुनियों की धरती है और यहां योग और प्राणायाम का अस्तित्व तभी से माना जाता है, जब से मनुष्य है। लेकिन फिर भी समय के बदलावों की बयार में बहते हुए हम अपनी उस विरासत को भूल चुके थे। इस कोरोना ने हमें उन सभी का महत्व फिर से समझा दिया है। 
 

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