
लंदन । तकरीबन 60 साल पहले कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के फैंसिस क्रिक और जेम्स वॉटसन ने डीएनए (डीराइबोन्यूक्लीइक ऐसिड) से जुड़ी एक अहम खोज की गई थी। वाटसन ने बताया था कि डीएनए दो स्ट्रैंड्स (धागों) में हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाया जाता है जो एक-दूसरे में मुड़े होते हैं। इनके बाद में इसी यूनिवर्सिटी के प्रफेसर सर शंकर बालासुब्रमण्यम और प्रफेसर स्टीव जैक्सन ने पाया कि डीएनए चार स्ट्रैंड्स में भी हो सकता है। अच्छी बात यह है कि इसी खोज के आधार पर यह भी पता लगाया गया है कि इस खास डीएनए संरचना का ब्रेस्ट कैंसर से सीधा संबंध है और इसे टार्गेट करके इलाज भी ईजाद किया जा सकता है।
डीएनए जिन न्यूक्लीइक ऐसिड से बना होता है उनमें से एक होता है गुआनीन। डीएनए के जिस भाग में ज्यादा गुआनीन होता है वहां एक सिंगल स्ट्रैंड बाहर की ओर निकलकर अपने आप में लूप की तरह उलझ जाता है जिससे आखिर में दो स्ट्रैंड की जगह चार स्ट्रैंड का 'हैंडल' तैयार होता है। इन्हें जी-क्वाड्रप्लेक्सेस कहते हैं। खास बात यह है कि इस टीम के रिसर्च में पता चला है कि ये जी-क्वाड्रप्लेक्सेस ऐसे जीन्स में होने की संभावना ज्यादा है जहां कोशिकाएं तेजी से डिवाइड हो रही हों, जैसे कैंसर सेल्स में होता है। अब पहली बार टीम ने यह खोज की है कि ही जी-क्वाड्रप्लेक्सेस ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर टिशू में भी होते हैं। 22 ब्रेस्ट कैंसर ट्यूमर टिशूज पर रिसर्च के बाद टीम ने यह खोज की है। पहले से प्रिजर्व किए गए ट्यूमर को चूहों में ट्रांसप्लांट कर बढ़ाया गया। डीएनए रेप्लिकेशन और सेल डिविजन के दौरान जीनोम के बड़ा हिस्सा गलत तरीके से कॉपी होता है जिससे कॉपी नंबर अबेराशन्स (सीएनए) पैदा होते हैं।
टीम ने अपनी रिसर्च में पाया कि इन सीएनए में जी-क्वाड्रप्लेक्सेस बड़ी संख्या में थे, खासकर उन जीन्स और जेनेटिक हिस्सों में जो ट्रांसक्रिप्शन में भूमिका निभाते हैं। इससे ट्यूमर के विकास पर असर पड़ता है।किसी सिंथेटिक मॉलिक्यूल की मदद सेजी-क्वाड्रप्लेक्सेस को टार्गेट करके कोशिकाओं को डीएनए रेप्लिकेट करने से रोका जा सकता, इससे कोशिकाएं डिवाइड भी नहीं होंगी। टीम का मानना है कि पीरोडोस्टेटीन और सीएक्स-5461 मॉलिक्यूल की मदद से ऐसा किया जा सकता है। खास बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर की करीब 11 अलग-अलग श्रेणियां होती हैं और ट्रांसकिप्शन में अंतर के आधार पर हर किसी में जी-क्वाड्रप्लेक्सेस भी अलग तरह के होते हैं। इसे ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी एक अहम कड़ी के तौर पर देखते हुए बेहतर इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हर प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर के लिए अलग इलाज हो सकता है।