नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में चीन से लगते वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर करीब 1597 किलोमीटर तक भारतीय सेना की तैनाती रहेगी जब तक की चीनी सेना अपने पूर्ववर्ती जगहों पर नहीं चली जाती है। सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पीएलए के साथ हालात सामान्य करने की दिशा में असफल प्रयास के बाद पूरे मामले से भारत ने कई मौकों पर चीन से कहा है कि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य बहाली के लिए उसे पूर्वी लद्दाख की टकराव वाली जगहों पर 20 अप्रैल से पूर्व की स्थिति में आना होगा। लेकिन, चीन ने ऐसा नहीं किया है।
तनातनी को लेकर सरकार में हो रही चर्चा पर पूरे मामले से वाकिफ सरकार के आधिकारी सूत्र ने बताया, “चीन की पीएलए ने इसे एक स्टारिंग मैच बना दिया है और चाहता है कि भारत हाथ पर हाथ धरे बैठा रहे। हम भी इंतजार कर इसकी तैयारी में थे कि ऐसे अन्य कदम उठाएं जाएं, ताकि सीमा विवाद के द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का चीन को एहसास हो। भारत ने पहले ही करीब 100 से ज्यादा चीन के मोबाइल ऐप को बन कर दिया है। इसके साथ ही, सरकार ने ठेकों में चीन की कंपनियों को रोकने के लिए नियमों में बदलाव भी किया है। ऐसा माना जा रहा है कि चीन की यूनिवर्सिटी के साथ टाइ-अप पर कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे मौजूदा मानदंडों का पालन कर रहे हैं। संदेश स्पष्ट है कि अगर कमांडर इन चीफ शी जिनपिंग के नेतृत्व में पीएलए सीमा से न हटते हुए पहले की स्थिति बहाल नहीं करती है, तो भारत और चीन के बीच संबंधों में और खराबी आएगी। हालांकि, चीन ने हार नहीं मानी है और वह इस उम्मीद में है कि भारत घरेलू दबाव में आकर गतिरोध को समाप्त कर देगा। चीन आसान रास्ता अपनाते हुए झूठ बोलते हुए दुनिया से कहा रहा है कि गतिरोध खत्म हो गया और लद्दाख में सेना के हटने की प्रक्रिया पूरो हो गई। भारत सरकार की तरफ से अड़ियल रुख के बाद चीन को अपना स्टैंड बदलने पर मजबूर होना पड़ा है और उसके बाद बीजिंग ने कहा कि सकारात्मक प्रगति हो रही है।
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लद्दाख में तनातनी खत्म करने को चीन ने दिया नया झांसा