
मास्को । जानलेवा कोविड-19 की रोकथाम के लिए जारी कोशिशों में पहला सफलता रूस को मिली है। दुनिया को कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन 12 अगस्त को मिलने जा रही है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि वे इसी हफ्ते वैक्सीन को रजिस्टर करेंगे। यह दुनिया की पहली ऐसी कोरोना वैक्सीन होगी जिस रेगुलेटरी अप्रूवल मिलेगा। यह वैक्सीन रूस में सभी को दी जाएगी ताकि नोवेल कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी हासिल हो सके। रूस की अक न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस वैक्सीन से किसी तरह के नुकसान के संकेत नहीं मिले हैं। इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन सितंबर से शुरू हो सकता है। अक्टूबर से पूरे देश में सबको यह टीका लगाने की कवायद शुरू कर दी जाएगी। आइए जानते हैं कि यह वैक्सीन कैसे काम करती है।
मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट की बनाई इस वैक्सीन को एडेनोवायरस के आधार पर बनाए गए पार्टिकल्स का यूज करके बनाया गया है। वहां के प्रमुख एलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि 'जो पार्टिकल्स और ऑब्जेक्ट्स खुद की कॉपीज बना सकते हैं, उन्हें जीवित माना जाता है।' उनके मुताबिक, वैक्सीन में जो पार्टिकल्स यूज हुए हैं, वे अपनी कॉपीज नहीं बना सकते। एलेक्जेंडर के मुताबिक, कुछ लोगों को वैक्सीन की डोज दिए जाने पर बुखार आ सकता है। इसके लिए उन्होंने पैरासिटामॉल के इस्तेमाल की सलाह दी है। उन्होंने कहा, "टीका लगने के बाद जब इम्युन सिस्टम को पावरफुल बूस्ट मिलता है तो प्राकृतिक रूप से कुछ लोगों को बुखार आ जाता है लेकिन इस 'साइड इफेक्ट' को पैरासिटामॉल लेकर दूर किया जा सकता है।" कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि एलेक्जेंडर के अलावा रिसर्च और मैनुफैक्चरिंग में शामिल अन्य लोगों ने सबसे पहले खुद को टीका लगवाया है। रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको कह चुके हैं कि इसी महीने हेल्थ वर्कर्स को यह वैक्सीन दी जा सकती है।
रूस ने दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन तैयार करने का दावा तो किया है लेकिन कई एक्सपर्ट्स ने इस पर सवाल उठाए हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा था कि उन्हें रूसी वैक्सीन से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी या डेटा नहीं मुहैया कराया गया है। डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर के देशों से उसकी कोवेक्स फैसिलिटी जॉइन करने की अपील की है। यह एक तरह का अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है जो वैक्सीन के डेवलपमेंट और मैनुफैक्चरिंग को तेज करने के लिए बनाया गया है। इसका मकसद सबको वैक्सीन मिले, यह भी है। इसके जरिए फंड्स भी जुटाए जा रहे हैं। ताजा बयान में यह नहीं बताया गया है कि कितने देश इसका हिस्सा बन चुके हैं मगर 15 जुलाई तक डब्ल्यूएचओ ने 75 देशों के इंटरेस्ट दिखाने की बात कही थी।