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 चीनी वैज्ञानिकों ने उस कंपाउन्ड की पहचान की, जिसकी वजह से झुंड में उड़ती हैं टिडि्डयां

 चीनी वैज्ञानिकों ने उस कंपाउन्ड की पहचान की, जिसकी वजह से झुंड में उड़ती हैं टिडि्डयां

बीजिंग । टिड्डियों की झुंड ने एशिया और अफ्रीका के देशों में इस साल भारी उत्पात मचा रखा है। टिड्डी दल अरबों डॉलर की फसलें चट कर गए हैं।  इनसे बचने के लिए आमतौर पर कीटनाशकों या जाल फेंकने का तरीका अपनाया जाता है। चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा केमिकल कंपाउंड की पहचान कर ली है, जिसकी वजह से टिड्डियां झुंड में ही उड़ती हैं। इस खोज की मदद से भविष्य में इन्हें झुंड में न उड़ने से रोका जा सकता है।
साइंस जर्नल 'नेचर' में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार भारत के कई हिस्सों, खासकर उत्तरी और उत्तर-पश्चिम के राज्यों में टिड्डियों ने फसलों को खूब बर्बाद किया है। चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा फेरोमोन 4-विलानीसोल (4वीए) की पहचान की है, जो टिड्डियों के पीछे के पैरों से निकलता है और दूसरी टिड्डियां अपने ऐंटेना से इन्हें डिटेक्ट करती हैं, जहां महक को सेंस करने वाले रिसेप्टर होते हैं। जानवरों के शरीर से निकलने वाले फेरोमोन ऐसे केमिकल होते हैं जिनका असर दूसरे जानवरों के व्यवहार पर असर पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि टिड्डियों के खास फेरोमोन की पहचान के बाद इसकी मदद से अब इन्हें जाल में फंसाना आसान हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि टिड्डियों के ऐंटेना में 4वीए को डिटेक्ट करने वाले सेंसरी सेल वोसिकोनिक सेंसिला होते हैं। यहां 4वीए के मॉलिक्यूल ओआर35 रिसेप्टर से बाइंड होता है और जिन टिड्डियों में ये रिसेप्टर न हो उस पर 4वीए का असर नहीं होता। आर्टिफिशल टेस्ट में दर्जनों टिड्डियों को 4वीए से लैस स्क्रीन के जरिए जाल में फंसाया जा सका। ऐसा ही टेस्ट चीन के तियानजिन में भी किया गया। इसके अलावा ऐसे केमिकल खोजने पर काम किया जा रहा है जो 4वीए के असर को खत्म कर सकें।
 

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