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रुस के बाद चीन ने कोरोना वैक्सीन के मामले में बाजी मारी 

रुस के बाद चीन ने कोरोना वैक्सीन के मामले में बाजी मारी 

बीजिंग । कोविड-19 की वैक्‍सीन की रेस में रूस के बाद चीन भी बाजी मारता दिख रहा है। वैश्विक स्‍तर पर दोनों देशों की वैक्‍सीन को भले ही मंजूरी न मिली हो, मगर अंदरुनी तौर पर दोनों वैक्‍सीन प्रॉडक्‍शन की ओर बढ़ चुकी हैं। रूस ने जहां वैक्‍सीन स्पूतनीक वी का पहला बैच तैयार कर लिया है। वहीं चीन ने कैनसिनो बायॅलाजी इनकॉपारेट को उसकी वैक्‍सीन एडी5-एनको के लिए पेटेंट दे दिया है। यानी रूस के बाद चीन में भी वैक्‍सीन को हरी झंडी दे दी गई है। दूसरी तरफ, वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि कोरोना वैक्‍सीन तैयार होने में साल भर का वक्‍त और लग सकता है। यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वैक्‍सीन ट्रायल के लिए करीब एक लाख लोगों ने दिलचस्‍पी दिखाई है। वैक्‍सीन टास्‍क फोर्स के चीफ केट बिंघम ने कहा, अगर हमें जल्‍दी वैक्‍सीन खोजनी है तो अलग-अलग बैकग्राउंड्स के कई और लोगों की जरूरत होगी। रिसर्चर्स ने 65 साल से ज्‍यादा उम्र वाले अश्‍वेत, एशियाई और अल्‍पसंख्‍यक बैकग्राउंड वाले लोगों से आगे आने की अपील की है।
चीनी कंपनी कैनसिनो बायॅलाजी इनकॉपारेट को उसकी कोविड वैक्‍सीन एडी5-एनको  के लिए पेटेंट अप्रूवल मिल गया है। वहां देश की पहली वैक्‍सीन है जिसे पेटेंट मिला है।कैनसिनो की वैक्‍सीन सर्दी-जुकाम के वायरस का एक मॉडिफाइड वर्जन है जिसमें नए कोरोना वायरस का जेनेटिक मैटीरियल डाला गया है। रूसी कोविड-19 वैक्‍सीन स्पूतनीक वी का पहला बैच तैयार हो गया है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के मुताबिक, इस महीने के आखिर तक यह वैक्‍सीन इस्‍तेमाल के लिए उपलब्‍ध होगी। रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन पहले ही दावा कर चुके हैं कि वैक्‍सीन पूरी तरह सेफ है और उनकी एक बेटी को भी टीका लगा है। टीके के भारत में उत्‍पादन के लिए कई कंपनियों से बातचीत चल रही है। रशियन डायरेक्‍ट इनवेस्‍टमेंट फंड की कई भारतीय फार्मा कंपनियों से बातचीत जारी है। रूस ने पांच देशों में हर साल 500 मिलियन डोज तैयार करने का प्‍लान बनाया है। भारत के अलावा कोरिया और ब्राजील से भी बात हो रही है।
डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्‍ट सौम्‍या स्‍वामीनाथन ने कहा है कि भारत में वैक्‍सीन का ट्रायल अभी पहले फेज में ही है। उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन फाइनल होने में कम से कम एक साल लगेगा। उन्‍होंने कहा, "भारत में अलग-अलग कंपनियां 8 वैक्‍सीन डेवलप कर रही हैं। आमतौर पर वैक्‍सीन डेवलप करने में पांच से 10 साल का वक्‍त लगता है मगर महामारी के चलते अभी कम से कम डेढ़ साल का वक्‍त लगेगा।"
 

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