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चाकलेट की खपत में 13 फीसदी की दर से इजाफा  -ग्लोबल वार्मिंग से चाकलेट के खत्म होने की आशंका

चाकलेट की खपत में 13 फीसदी की दर से इजाफा  -ग्लोबल वार्मिंग से चाकलेट के खत्म होने की आशंका

लंदन ।  अगर आप भी चॉकलेट के दीवाने हैं तो ये खबर आपको हैरान कर सकती है कि दुनिया में जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग का असर तेजी से बढ़ रहा है। वैसे-वैसे इसके खत्म होने की आशंका बढ़ गई है। भारत में साल दर साल चॉकलेट की खपत में भारी इज़ाफा देखने को मिला है। 2002 में जहां देश में 1.64 लाख टन चॉकलेट की खपत थी, वो 2013 तक बढ़कर 2.28 लाख टन पर जा पहुंची। करीब 13 फीसदी की दर से ये इजाफा देखने को मिल रहा है।  यूएस नेशनल ओसिएनिक एंड एटमोसफेयरिंक एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अगले आने वाले 40 सालों में चॉकलेट का नामो-निशां खत्म हो सकता है। चॉकलेट के मुख्य स्त्रोत कोको की पैदावार के लिए तापमान 20 डिग्री से कम होना चाहिए। लेकिन तापमान में तेजी चॉकलेट उत्पादन के लिए खतरा बन गया है। अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक बढ़ते प्रदूषण, आबादी और बदलते भौगोलिक समीकरणों के चलते धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले 30 सालों में धरती का तापमान करीब 2.1 डिग्री सेल्सियस और बढ़ जाएगा।इसका सीधा असर कोको प्लांट या चॉकलेट तैयार करने वाले प्लांट पर पड़ेगा क्योंकि उन्हें उत्पादन के लिए एक नियत तापमान की जरूरत होती है। चॉकलेट पर बढ़ते संकट के पीछे इसके उत्पादन के पुराने तरीके भी हैं। विशेषज्ञ हॉकिंस के मुताबिक अगर इन उत्पादन के तरीकों में जल्द बदलाव और तकनीक का इस्तेमाल नहीं हुआ तो परिणाम परेशान कर देने वाले होंगे। विशेषज्ञ अंदाजा लगा रहे हैं कि चॉकलेट इंडस्ट्री बमुश्किल दस साल निकाल पाएगी। यानी दुनिया से खत्म होने में इसको सिर्फ 40 साल लगेंगे। अगर अच्छी बारिश होती है तो इससे जलस्तर सुधरेगा और बढ़ते तापमान पर लगाम लगेगी। विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में अभी भी कोको का 90फीसदी उत्पादन पुराने पारंपरिक तरीकों से किया जाता है। जो आज बदलते मौसम और तापमान में बुरी तरह प्रभावित हो रही है। इन कारणों के चलते उत्पादन में ना के बराबर बढ़ोतरी है।
 

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