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 इजरायली वैज्ञानिकों ने खोजा कोरोना टेस्टिंग की नई विधि, एक बार में 48 से ज्यादा लोगों का होगा टेस्ट

 इजरायली वैज्ञानिकों ने खोजा कोरोना टेस्टिंग की नई विधि, एक बार में 48 से ज्यादा लोगों का होगा टेस्ट

येरुशलम । तीन इजरायली वैज्ञानिकों की टीम ने एक कोरोना वायरस टेस्टिंग प्रक्रिया की शुरुआत की है, जो अब तक की सभी टेस्टिंग प्रक्रियाओं में सबसे तेज और सटीक साबित हुई है। यह टेस्टिंग प्रक्रिया एक बार में 48 से अधिक लोगों के नमूनों का परीक्षण कर सकती है। इस विधि को इस साल सर्दियों से पहले इस्तेमाल में लाया जाएगा, जब फ्लू का संक्रमण तेजी से फैलता है। यह विधि जल्द ही अमेरिका के साथ भी शेयर की जाएगी।
इजरायल की सरकार ने अक्टूबर तक देश भर की 12 प्रयोगशालाओं में नए लागू करने की योजना बनाई है। आशंका जताई जा रही है कि कोरोना वायरस की अगली लहर और इन्फ्लूएंजा का मौसम एक साथ आ सकता है, जिसके बेहद गंभीर परिणाम हो सकते हैं। रक्षा मंत्रालय के इंजीनियर रोनेन वालफिस्क इस मेथड की क्षमता और प्रभाव को जांचने से जुड़े पायलट प्रोजेक्ट की देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने कहा हम कोरोना से लड़ने को तैयार रहने के लिए जो कुछ कर सकते हैं, सब कर रहे हैं और हमने यह सफलतापूर्वक पास कर लिया है।
हाइफ़ा में रामबाम हेल्थ केयर कैंपस में वायरोलॉजी लैब चलाने वाले मोरान ज़्वैकवॉर्ट कोहेन ने कहा मंगलवार को इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा क्लीनिकल इस्तेमाल के लिए औपचारिक रूप से अनुमोदित यह नया पूल्ड-टेस्टिंग मेथड अब तक की तुलना में कहीं अधिक तेजी से स्कूलों, स्कूलों, कॉलेज परिसरों, व्यवसायों और एयरलाइंस में जल्दी और बड़ी संख्या में टेस्टिंग कर भीड़ को कम कर सकता है। बड़ी संख्या में की जाने वाली इस टेस्टिंग ने अमेरिका का ध्यान भी अपनी तरफ आकर्षित किया है क्योंकि वहां लैब आदि में टेस्टिंग के लिए सैंपलकी बाढ़ आई हुई है और वहां लोग इन समस्याओं से जूझ रहे हैं।
अन्य जगहों पर हो रहे अधिकांश सामूहिक टेस्टिंग के प्रयास उस सरलीकृत दृष्टिकोण पर निर्भर हैं, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध में जवानों पर सिफलिस के टेस्ट किए जाते थे। वह मेथड एक अर्थशास्त्री डोरफ़मैन के नाम पर रखा गया था जिसमें एक ही बार में बहुत से लोगों के नमूने लिए जाते थे और अगर सामूहिक टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आया तो सभी को नेगेटिव मान लिया जाता था और अगर सामूहिक टेस्ट का रिसल्ट पॉजिटिव आया तो सभी से दुबारा नमूना लिया जाता था, जिससे यह जांचा जा सके कि कौन कौन पॉजिटिव है।
इसके उलट इजरायल मेथड में टेस्टिंग के केवल एक दौर की आवश्यकता के अनुसार डिज़ाइन किया गया है जिससे समय, प्रयोगशाला से जुड़े काम और आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण बचत होगी। शुक्रवार को साइंस एडवांस में प्रकाशित एक अध्ययन में डॉ नेओम शैंटल (ओपन यूनिवर्सिटी ऑफ़ इजरायल) और उनके सहयोगियों, टोमर हर्ट्ज और एंजेल पोर्गडोर(बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ द नेगेव) ने बताया कि उनकी विधि- पी-बेस्ट जिसे पूलिंग-आधारित कुशल सार्स के लिए पी-बेस्ट कहा जाता है- जो पूलन आधारित सक्षम सार्स-कोविड-2 टेस्टिंग है, ने कोविड-2 परीक्षण - 48 नमूनों के बीच में से कोरोना पॉजिटिव का पता लगाया। इस अध्ययन में पाया गया कि इस विधि के द्वारा सिर्फ 144 परीक्षणों में 1,115 स्वास्थ्य कर्मचारियों की जांच हुई और सटीक रिसल्ट प्राप्त हुए।
 

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