
जिनेवा । कोविड-19 के जानलेवा कहर से दुनिया के कई देशों में इस वायरस के मारक वैक्सीन को लेकर ट्रायल अंतिम स्टेज में है। वहीं, रूस ने तो दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी को बनाने का दावा भी कर दिया है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वैक्सीन को लेकर कड़ी चेतावनी जारी की है। डब्लूएचओ ने कहा है कि हमारे मानदंडों के अनुसार, क्लिनिकल ट्रायल के एडवांस स्टेज में पहुंची कोई भी वैक्सीन 50 फीसदी भी कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी नहीं है। इतना ही नहीं, इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने यह भी कहा हमें उम्मीद नहीं है कि अगले साल यानी 2021 तक भी दुनिया के सभी लोगों को वैक्सीन की खुराक मिल सकेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने जिनेवा में कहा कि दुनिया भर में कोरोना वायरस के कई वैक्सीन एडवांस क्लिनिकल स्टेज में हैं। लेकिन, किसी भी वैक्सीन के लिए यह नहीं कहा जा सकता है कि वह पूरी तरह से प्रभावी हैं। उन्होंने कहा कि हम अगले साल के मध्य तक भी व्यापक वैक्सीनेशन की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। मार्गरेट ने आगे कहा कि फेज 3 के ट्रायल में अधिक समय लग रहा है क्योंकि हम देखना चाहते हैं कि वह वैक्सीन कोरोना के खिलाफ कितनी सुरक्षा मुहैया कराती है और उसका कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने कहा था कि हमें हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक आबादी के रूप में, अभी हम उस स्थिति के कहीं आसपास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है। हर्ड इम्यूनिटी कोई समाधान नहीं है और न ही यह ऐसा कोई समाधान है जिसकी तरफ हमें देखना चाहिए। आज तक हुए अधिकतर अध्ययनों में यही बात सामने आई है कि केवल 10 से 20 प्रतिशत आबादी में ही संबंधित एंटीबॉडीज हैं, जो लोगों को हर्ड इम्यूनिटी पैदा करने में सहायक हो सकते हैं। लेकिन, इतनी कम एंटीबॉडीज की दर से हर्ड इम्यूनिटी को नहीं पाया जा सकता। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी सुरक्षित और प्रभावी साबित होने से पहले किसी भी कोविड-19 टीके के उपयोग की सिफारिश नहीं करेगी। हालांकि, चीन और रूस ने व्यापक प्रयोग के समाप्त होने से पहले ही अपने टीके का उपयोग करना शुरू कर दिया है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदानोम गेब्रेयसुस ने कहा कि टीकों का प्रयोग दशकों से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उन्होंने चेचक और पोलियो के उन्मूलन में इनके योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैं जनता को आश्वस्त करना चाहूंगा कि डब्ल्यूएचओ एक ऐसे टीके का समर्थन नहीं करेगा जो प्रभावी और सुरक्षित नहीं है।
रूस ने पहले ही अपनी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक वी को लॉन्च कर दिया है। हालांकि, उसे लेकर विशेषज्ञों को शक है क्योंकि बिना बड़ी आबादी पर टेस्ट किए ही, उसे अप्रूव कर दिया गया है। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि इस वैक्सीन ने कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों पर अच्छा असर दिलाया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनकी एक बेटी को इस वैक्सीन का डोज दिया गया है। दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलाने वाले चीन ने एक महीने पहले ही अपने लोगों को वैक्सीन दे दी थी। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शनिवार को खुलासा किया था कि वह 22 जुलाई से ही अपने लोगों को वैक्सीन की डोज दे रहा है। हालांकि, आयोग ने यह नहीं बताया कि चीन में क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम फेज में पहुंची चार वैक्सीन में से किसे लोगों को दिया गया है। इतना ही नहीं, आयोग ने यह भी दावा किया कि लोगों पर इस वैक्सीन का कोई कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है।