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 ऊंची पहाड़ियों पर मोर्चा संभालकर चीनी सेना की घेराबंदी तेज

 ऊंची पहाड़ियों पर मोर्चा संभालकर चीनी सेना की घेराबंदी तेज

नई दिल्ली । पैंगोंग इलाके में भारत एवं चीन में जारी टकराव के बीच भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से अहम पहाड़ियों एवं स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इसके पीछे असल मकसद चीन को इन ऊंची पहाड़ियों पर काबिज होने से रोकना है। सेना को आशंका है कि हाल में उसने जिस प्रकार से उत्तरी पैंगोंग की पहाड़ियों में मोर्चाबंदी की है, वैसे ही कोशिश चीन अन्य चोटियों पर भी कर सकता है। ऐसा एक प्रयास वह सात सितंबर को भी कर चुका है। सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग लेक इलाके से चीन के पीछे नहीं हटने के बाद सेना ने अपने रूख को आक्रामक बनाया है। अब वह चीन को उसी की भाषा में जवाब देने को तैयार है। इसलिए, करीब पांच-छह ऊंची पहाड़ियों या स्थानों पर सेना ने हाल में अपनी तैनाती की है, लेकिन अभी कई ऐसी अहम रणनीतिक चोटियां हैं जिन पर चीन की निगाह हो सकती है। सेना इन पर भी अपने सैनिकों की तैनाती के लिए प्रयासरत है। इस बीच, दोनों देशों की सेनाओं के बीच ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत हुई। इसमें हालांकि, कई मुद्दों पर चर्चा हुई और सहमति भी व्यक्त की गई, लेकिन इसका जमीन पर कोई असर नहीं हुआ। इस बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। सेना के सूत्रों के अनुसार रेजांगला इलाके में भारत और चीन के जवान बुधवार को भी आमने-सामने डटे हुए हैं। दोनों सेनाओं के बीच 300 गज से ज्यादा की दूरी नहीं है। हालांकि, सात सितंबर के बाद टकराव की दोबारा नौबत नहीं आई है। सेना के सूत्रों ने कहा कि चीन के करीब 40 जवान रेजांगला में भारतीय सेना के सामने खड़े हैं। जबकि नीचे बेस में करीब 7,000 जवानों के मौजूद होने की खबर है। भारतीय सेना की तैनाती इसी के अनुरूप की गई है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि चीनी उत्तेजक कार्रवाई चीनी सैनिकों ने मंगलवार को एलएसी में पूरे दिन उकसावे की कार्रवाई की है। सूत्रों का कहना है कि एलएसी पर चीन की उत्तेजक कार्रवाई रेजांगला और मुखपरी चोटी के आसपास के इलाकों में थी। चीनी सेना अभी भी कॉमन क्षेत्र में बनी हुई है। हालांकि, बुधवार को कोई भी भड़काऊ कार्रवाई नहीं हुई। सीमा पर बढ़ रहे गतिरोध के बीच, मॉस्को में बार भारतीय और चीनी विदेश मंत्री तीन बार आमने-सामने होंगे। पहला मौका, एससीओ सम्मेलन के तहत विदेश मंत्रियों की बैठक होगी, दूसरे मौके पर रूसी विदेश मंत्री के साथ दोनों दोपहर के भोजन पर मिलेंगे। इसके बाद तीसरा मौका भारत और चीन की द्विपक्षीय वार्ता का होगा।
 

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