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 लोन मोरेटोरियम : शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से कहा- ठोस योजना के साथ अदालत आएं, आखिरी बार टाल रहे केस

 लोन मोरेटोरियम : शीर्ष कोर्ट ने केंद्र से कहा- ठोस योजना के साथ अदालत आएं, आखिरी बार टाल रहे केस

नई दिल्‍ली । कोरोनाकाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंक कर्जधारकों को राहत देते हुए लोन मोरेटोरियम सुविधा शुरू की। इसके अंतर्गत ग्राहकों को 31 अगस्‍त तक ईएमआई (ईएमआई) चुकाने से राहत दे दी गई। अब ये सुविधा खत्‍म हो चुकी है। मोरेटोरियम सुविधा को आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए। इस दौरान सब अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ अदालत आएं। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते दिए। दरअसल, लोन मोरेटोरियम सुविधा खत्‍म होने के बाद लोगों के पास बैंकों से ईएमआई चुकाने के लिए मैसेज, फोन कॉल्‍स और ई-मेल्‍स आने शुरू हो गए हैं। इससे लोगों को अपने बैंक लोन अकाउंट को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित किए जाने का डर सता रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सरकार ठोस प्लानिंग नहीं बताती, तब तक यानी 31 अगस्त तक लोन डिफॉल्टरों को एनपीए घोषित ना करने का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा- सरकार और आरबीआई की तरफ से दलील रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ब्याज पर छूट नहीं दे सकते है लेकिन भुगतान का दबाव कम कर देंगे। मेहता ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला कोई फैसला नहीं लिया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वे मानते हैं कि जितने लोगों ने भी समस्या रखी है वे सही हैं। हर सेक्टर की स्थिति पर विचार जरूरी है लेकिन बैंकिंग सेक्टर का भी खयाल रखना होगा। तुषार मेहता ने कहा कि मोरेटोरियम का मकसद यह नहीं था कि ब्याज माफ कर दिया जाएगा। तुषार मेहता ने कहा कि कोरोना के हालात का हर सेक्टर पर प्रभाव पड़ा है लेकिन कुछ सेक्टर ऐसे भी हैं जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। फार्मास्यूटिकल और आईटी सेक्टर ऐसे सेक्टर हैं जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि जब मोरेटोरियम लाया गया था तो मकसद था कि व्यापारी उपलब्ध पूंजी का जरूरी इस्तेमाल कर सके और उन पर बैंक की किश्त का बोझ नहीं पड़े।
सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को दिया ये निर्देश-शीर्ष अदालत के बैंक लोन अकाउंट को अगले दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं किए जाने के आदेश से कर्जधारकों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, अगर किसी व्‍यक्ति के लोन को एनपीए घोषित कर दिया जाता है तो उसकी सिबिल रेटिंग खराब हो जाती है। इससे उसे भविष्‍य में किसी बैंक से लोन लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर लोन मिल जाता है तो उसे अच्‍छी सिबिल रेटिंग वाले व्‍यक्ति के मुकाबले ज्‍यादा ब्‍याज दर चुकाना पड़ सकता है, क्‍योंकि अब बैंक इसी आधार पर ब्याज दरें भी तय कर रहे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद क्रेडिट कार्ड, होम लोन, व्हीकल लोन, होम लोन की किस्‍त मोरेटोरियम खत्‍म होने के दो महीने बाद तक नहीं चुकाने पर भी बैंक उसे एनपीए घोषित नहीं करेंगे। हालांकि, डिफॉल्ट पर जुर्माना या ब्याज वसूल सकते हैं।
 

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