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बच्चों को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करें 

बच्चों को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करें 

वहीं बच्चों को अनुशासित रखने या सुधारने के लिए हम कई बार उनसे ऐसी बातें बोल देते हैं, जो उनके कोमल मन पर नकारात्मक छाप छोड़ देती है जिस कारण वो ठीक होने की बजाय ज्यादा खराब हो जाते हैं। उनके दिमाग में वो बातें बैठ जातीं है। यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। मैं भी बचपन में पढा़ई में ऐसी ही थी जैसी बातें न कहें क्योंकि 
इस बात से बच्चे पढ़ाई को लेकर लापरवाह हो सकते हैं। उसकी जगह बच्चे को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करें। उन्हें बतायें कि सफलता के लिए अनुशासन सबसे जरुरी है। आगे बढ़ने के लिए कोई शार्टकट नहीं होता। 
अधिक अंक
परीक्षा परिणाम आने लगे हैं और ऐसे में अगर बच्चे के अच्छे अंक आये हैं तो उसे और आगे बढ़ने के लिए प्रौत्साहित करें पर कई बार बच्चों के अंक उम्मीद से कम आते हैं यह वे सफल नहीं हो पाते हैं, ऐसे में अभिभावकों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इस दौरान बच्चों का साथ देते हुए मनोबल बढ़ाये और उन्हें निराशा से बचायें भूल कर भी बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से न करें क्योंकि एक बार बच्चा आत्मविश्वास खोएगा तो उसे हासिल करना कठिन हो जाएगा। बच्चों को समझाएं की एक परीक्षा या परिणाम ही सबकुछ नहीं है। जिंदगी में आगे बढ़ने के कई अवसर आयेंगे। उन्हें केवल अपनी कमजोरियों को दूर कर आगे की तैयारी करनी चाहिये। इस दौरान उन्हें सफल लोगों के उदारहण दें जो अपने शुरुआती शिक्षा में कई बार असफल रहे हैं। ध्यान रहे केवल अधिक अंक ही बेहतर कैरियर की गारंटी नहीं देते। इसके लिए उन्हें व्यवहारिक होने के साथ ही हर स्तर पर बेहतर करना होगा। 
पापा से शिकायत :
आमतौर पर घरों में पापा की छवि सख्त व्यक्त‍ि की तरह बनी होती है। पर बार-बार पापा के नाम की धमकी देकर आप जो बच्चों को अनुशासित करने की कोशिश करती हैं। दरअसल वो उनके मन में पापा के लिए डर पैदा करता है। उनके मन में पापा के लिए सम्मान की जगह खौफ ले लेता है। जिस कारण बच्चा अपने पिता से दूर हो जाता है। 
हमेशा ताना ठीक नहीं:
बच्चों को बार-बार ताना न दें। बार-बार एक ही बात बोलने और ताना देने से बच्चे ज्यादा गुस्से वाले और चिढ़चिढ़े हो जाते हैं। साथ ही वो जिद्दी भी होने लगते हैं।
बच्चों में तुलना ना करें:
कई बार हम अपने बच्चों में ही भेदभाव कर देते हैं। अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें। दूसरा बच्चा आपके बेटे या बेटी से तेज है या खूबसूरत है, इस तरह की तुलना न करें। इससे बच्चों में दूसरे बच्चों को लेकर हीन भावना पैदा होने लगती है।
मोटापे का एहसास ना कराएं:
आप डायट पर हैं या अपना वजन घटाना चाहती हैं, यहां तक तो ठीक है। पर यह बात बच्चों के सामने जाहिर न करें। ऐसा करने से बच्चे अपने वजन को लेकर चिंतित हो जाते हैं और खाना ठीक से नहीं खाते।  इसलिए बार-बार उनके सामने वेट मशीन पर खड़ी ना हों और ना ही उनसे यह कहें कि आजकल आप वजन घटाने की कोशिश कर रही हैं।
 

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