
बीजिंग । लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गलवान घाटी हिंसा को लेकर दिए बयान पर चीन का सरकारी अखबार तिलमिला उठा है। चीनी सैनिकों की मौत पर चुप्पी साधने वाले चीनी समाचार पत्र के संपादक हू शिजिन ने दावा किया कि इस हिंसा में भारत से कम चीनी सैनिकों की मौत हुई थी। इससे पहले राजनाथ सिंह ने कहा था कि गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया था और बड़ी संख्या में चीनी जवानों को मार गिराया था।
शिजिन ने कहा जहां तक मुझे पता है, 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की भारत के 20 सैनिकों के मुकाबले कम मौत हुई थी। किसी भी चीनी सैनिक को भारत ने पकड़ा नहीं था, जबकि पीएलए ने उस दिन कई भारतीय सैनिकों को पकड़ लिया था। भारतीय और अमेरिकी अनुमान के मुताबिक 40 से अधिक चीनी सैनिक इस हिंसा में मारे गए थे। हू शिजिन ने आरोप लगाया कि भारतीय जवानों ने बिना चेतावनी दिए ही उन पर हमला बोल दिया था, जिससे संघर्ष हुआ। इस दावे के बीच हू शिजिन ने माना कि गलवान हिंसा के दौरान कुछ चीनी सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी, लेकिन उन्होंने ठीक-ठीक संख्या नहीं बताई। उन्होंने दावा किया कि संघर्ष के दौरान कुछ भारतीय सैनिक भाग गए और कुछ ने आत्मसमर्पण कर दिया। उन्होंने दावा किया कि पैंगोंग झील इलाके में भी चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को ऊंचाई वाले इलाकों से हटा दिया है और उन्होंने गतिरोध वाली कई जगहों पर बढ़त हासिल कर ली है।
हू शिजिन ने कहा भारत चीन के बारे में अपनी समझ की फिर से समीक्षा करे और हम अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए करारा जवाब देंगे। अगर भारत सीमा के मुद्दे पर हमला करना चाहता है तो उसे बिना कोई लाभ हुए भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने भारत से लगती सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है। अगर भारत ने उकसावे की कार्रवाई की तो पीएलए उसे भारी नुकसान पहुंचा सकती है। भारत के पास अब केवल एक ही विकल्प है कि वह बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाए।