
जिनेवा । दुनियाभर में अब तक 3 करोड़ 17 लाख 131 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं।इसमें से 9 लाख 75 हजार लोगों ने अपनी जान गंवा दी है,वहीं 2 करोड़ 34 लाख (73प्रतिशत) से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके है। पूरी दुनिया में 74 लाख से ज्यादा सक्रिय केस हैं।कई देश कोरोना की वैक्सीन में दिन-रात लगे हुए हैं।इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख ट्रेडोस अधनोम ने कहा कि स्वास्थ्य संगठन के पास इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कोरोना के लिए विकसित किए जा रहे टीकों में से कोई काम करेगा या नहीं। स्वास्थ्य संगठन के ताजा बयान से कोरोना वैक्सीन की उम्मीदों को झटका लगा है। ट्रेडोस अधनोम ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि इसकी भी कोई गारंटी नहीं है कि विकास के चरण से गुजरने के दौरान भी कोई टीका काम करेगा।हालांकि, उन्होंने कहा कि जितना ज्यादा से ज्यादा वॉलन्टियर्स पर वैक्सीन की टेस्टिंग होगी, एक बेहतर और प्रभावी वैक्सीन के विकास में यह उतना ही अच्छा मौका होगा।
कोरोना की वैक्सीन विकसित करने के लिए दुनियाभर में करीब 180 विकल्पों पर काम चल रहा है, और अलग-अलग रिसर्च में सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। अमेरिका की मोर्डना आईएनसी की वैक्सीन मोरन 1273 इंसानों पर पहले ट्रायल में सफल भी रही है, लेकिन एक वैक्सीन है जिससे इस वक्त दुनिया को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं,वहां है ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन एजेडडी 1222 है।चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन का भी कहना है कि ऑक्सफर्ड की वैक्सीन इस रेस में सबसे आगे है।विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वैक्सीन को विकसित करने में जुटे वैश्विक गठबंधन समूहों और सीईपीआई के साथ समन्वय कर रहा है।भविष्य में देशों के बीच टीकों के समान वितरण को सक्षम करने के लिए कोवैक्स नाम से एक सिस्टम भी बनाया गया है।
अब तक 64 अमीर देश कोवैक्स का हिस्सा बन चुके हैं।अमेरिका ने इसका हिस्सा होने से इनकार कर दिया है।चीन और रूस भी इससे नहीं जुड़े हैं।लेकिन ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देश इसका हिस्सा बन गए हैं। उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बताया है कि कोरोना वैक्सीन भारत में अगले साल की शुरुआत तक उपलब्ध करा दिया जाएगा। हर्षवर्धन ने राज्यसभा में कहा कि ‘अन्य देशों की तरह, भारत भी प्रयास कर रहा है और कोरोना से संबंधित तीन टीकों का ट्रायल अलग-अलग चरणों में चल रहा है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में, एक विशेषज्ञ समूह इन टीकों को देख रहा है और इसके स्थान पर उन्नत योजना बना रहा है।हमें उम्मीद है कि अगले साल की शुरुआत तक भारत में एक वैक्सीन जरूर उपलब्ध होगी।