नई दिल्ली । विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन से सटी सीमा सीमा पर शांति नहीं होगी तो जाहिर है कि रिश्तों में कभी मधुरता नहीं आ सकती।
भारत और चीन सीमा पर लगातार तनाव को देखते हुए एस जयशंकर ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सीमापार से उकसावे वाली कार्रवाई होगी तो जाहिर तौर पर रिश्ते पर असर पड़ेगा और यही हम देख रहे हैं।
इससे पहले विदेश मंत्री ने शुक्रवार को एशिया सोसायटी के एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा, '1993 से अब तक दोनों देशों के बीच कई करार हुए जिन्होंने शांति और स्थिरता कायम करने का ढांचा तैयार किया। इन करारों में सीमा प्रबंधन से सैनिकों के बर्ताव तक सब बातों को शामिल किया गया, लेकिन जो इस साल हुआ उसने सभी करारों को खोखला साबित कर दिया।
सीमा पर बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती पूर्व में हुए करारों का उलट है। ऐसे में जब दो देशों के सैनिक तनाव वाले इलाकों में मौजूद रहते हैं तो वही होता है जो 15 जून को हुआ। जयशंकर ने कहा, यह बर्ताव न सिर्फ बातचीत को प्रभावित करता है बल्कि 30 वर्ष के संबंधों को भी खराब करता है। भारत और चीन के रिश्तों के मूल में सीमा पर शांति और स्थिरता कायम रखना था, लेकिन फिलहाल सीमा पर जो तनाव है उसका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ना तय है।
एस जयशंकर ने कहा कि 2008 के बाद एक बार फिर दुनिया के सामने वैश्विक वित्तीय संकट है। उन्होंने अफ्रीका के उत्थान के बारे में कहा कि अफ्रीका का योगदान भागीदारी हमारे रणनीतिक हित में है। यदि अफ्रीका वैश्विक राजनीति के ध्रुवों में से एक बन जाता है, तो यह हमारे लिए बेहतर है।
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अगर चीन द्वारा सीमापार से उकसावे वाली कार्रवाई होगी तो रिश्ते पर असर पड़ेगा - जयशंकर