
नई दिल्ली । आतंक को फंडिंग के कारण पाकिस्तान अगले साल फरवरी तक वित्तीय कार्रवाई कार्य बल ( एफएटीएफ) की ‘ग्रे' सूची में निकाय में बना रहेगा। ऐसा पाकिस्तान द्वारा अंतरराष्ट्रीय निधियों तक पहुंच के लिए आवश्यक शर्तों को पूरा करने में विफल रहने पर किया गया है। आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन को रोकने एवं निगरानी करने वाली पेरिस से संचालित संस्था की 21 से 23 अक्टूबर के बीच डिजिटल माध्यम से वार्षिक बैठक हुई जिसमें 27 बिंदुओं की कार्य योजना की समीक्षा की गई थी।
ग्रे सूची में होने के कारण पाकिस्तान के लिए विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से वित्तीय मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाक की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 सदस्यीय एफएटीएफ में से 12 सदस्यों का समर्थन हासिल करना था।
वहीं, काली सूची में जाने से बचने के लिए तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी। पाकिस्तान का चीन, तुर्की और मलेशिया लगातार समर्थन करते रहे हैं। ऐसा माना जा रहा था कि आज हुई एफएटीएफ की बैठक में अगर यह पाया जाता है कि पाकिस्तान लक्ष्यों को पूरा करने में असफल हुआ है तो पूरी संभावना है कि विश्व निकाय उसे उत्तर कोरिया और ईरान के साथ काली सूची में डाल दें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उसे फरवरी 2021 तक ग्रे लिस्ट में रखा गया है
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे' सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी की वजह से इस मियाद में वृद्धि कर दी गई।