नई दिल्ली । चेतक और चीता हेलीकॉप्टर मरम्मत करने के लिए प्रशिक्षित वायुसेनाकर्मी को जब मनपसंद तबादला और काम नहीं मिला तो उन्होंने नौकरी से ही हटा देने की मांग की। इसके लिए उन्होंने कानूनी लड़ाई भी लड़ी। उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर वायुसेनाकर्मी ने कहा कि जिस काम के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया गया है, उनसे वह काम लेने के बजाय ढाबे ज्वाइंट फूड प्वाइंट पर काम लिया जा रहा है। यह ढाबा वायुसेना की यूनिट के लिए है। सेवामुक्त करने की मांग करते हुए युवक ने कहा कि वायुसेना बेवजह उन्हें हर माह 60 हजार रुपये का वेतन दे रही है। जस्टिस राजीव सहाय एंडलॉ और आशा मेनन की पीठ ने वायुसेनाकर्मी को राहत देने से इनकार कर दिया। पीठ ने वायुसेना को पारिवारिक परेशानियों के मद्देनजर अनुकंपा के आधार पर दिल्ली एरिया में ना तो तबादला करने और ना ही सेवामुक्त करने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा है कि यदि पारिवारिक परेशानियों के आधार पर तबादला का आदेश देने लगे तो सभी लोग कोर्ट आने लगेंगे। पीठ ने वायुसेना के उस फैसले को सही ठहराया है जिसके तहत युवक को दिल्ली एरिया में तबदला करने या नौकरी छोड़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। वायुसेनाकर्मी ने कहा था कि उनके पिता मई 2018 से लापता हैं, 29 साल की बहन शादी करने योग्य हैं, ऐसे में परिवार को देखने के लिए अनुकंपा के आधार पर दिल्ली एरिया हिंडन एयरबेस में स्थानांतरित कर दिया जाए। उच्च न्यायालय ने कहा कि इस तरह की परेशानियां हर घर में है, और इस आधार पर तबादला करने का आदेश देने या किसी तरह के हस्तक्षेप से हर कोई अपनी परेशानी लेकर कोर्ट आने लगेगा। इससे स्थिति और खराब हो सकती है। यह टिप्पणी करते युवक की याचिका को खारिज कर दिया। हालांकि युवक को वायुसेना मुख्यालय में अपने तबादले को लेकर दोबारा से अर्जी दाखिल करने की छूट दे दी है। उच्च न्यायालय ने युवक को अपनी पसंद की जगह तबादला करने का आदेश देने से इनकार कर दिया। लेकिन वायुसेना को निर्देश दिया कि वह उनके लिए कुछ बेहतर काम तलाशे। पीठ ने कहा है कि वायुसेना फूड ज्वाइंट प्वाइंट पर याचिकाकर्ता से काम ले रही है तो कुछ न कुछ टैलेंट जरूर देखा होगा।
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वायुसेनाकर्मियों के लिए कोर्ट का फैसला