
वॉशिंगटन । वैश्विक महामारी कोविड-19 का कहर अमेरिका में अभी खत्म महीं हुआ है और अब एक नई मुसीबत सामने खड़ी हो गई है। ग्लेशियर को लेकर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि अलास्का में मौजूद बैरी आर्म ग्लेशियर कभी भी गिर सकता है। खास बात है कि ग्लेशियर टूटकर सीधा समुद्र में गिरेगा और यह घटना एक बड़ी सुनामी का कारण बन सकती है। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के बायर पोलर एंड क्लाइमेट रिसर्च सेंटर के शोधकर्ता चुनली दाई बताते हैं कि यह ग्लेशियर 2010 से 2017 के बीच 120 मीटर खिसक चुका है। 2017 में पश्चिमी ग्रीनलैंड में इसी तरह की सुनामी आई थी। इस हादसे में 4 लोगों की मौत हुई थी। अलास्का के इस ग्लेशियर में धीरे-धीरे लैंडस्लाइड हो रहा है। एक्सपर्ट इसका कारण बर्फ के वजन को बता रहे हैं। अगर भौगोलिक तौर पर देखें, तो यह ग्लेशियर एक पतले समुद्री रास्ते पर बना है। इस ग्लेशियर के दोनों ओर बर्फ के पहाड़ हैं। यहीं एक बड़ी वजह है, जिसके कारण सुनामी आ सकती है। क्योंकि ग्लेशियर टूटने पर पानी का बहाव एक ही ओर तेजी से होगा और आपदा बन जाएगा। अंटार्टिका के पश्चिमी इलाके में मौजूद थ्वायटस नाम का ग्लेशियर लगातार पिघल रहा है। बीते 30 सालों में यह दोगुनी तेजी से पिघल रहा है। खास बात है कि यह ग्लेशियर गुजरात के लगभग बराबर है। जमीन के अलावा यह समुद्र के अंदर काफी अंदर तक डूबा हुआ है। इस ग्लेशियर का क्षेत्रफल 192000 वर्ग किलोमीटर है। अगर देखा जाए तो कर्नाटक का आकार 191,797 वर्ग किलोमीटर है और गुजरात 196,024 वर्ग किमी है। इस ग्लेशियर में बड़े-बड़े आइसबर्ग टूट रहे हैं। लंदन के यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के प्रोफेसर अली ग्राहम का कहना है कि इस ग्लेशियर में एक छेद किया गया है। इस छेद की मदद से रोबोट को ग्लेशियर के अंदर भेजा है। इसके बाद ही यह बात सामने आई थी कि समुद्र के अंदर से यह ग्लेशियर तेजी से टूट रहा है।