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भारत ही कर सकता हैं विश्व कल्याण ---भागवत (मोहन भागवत के हसीन सपने ) 

भारत ही कर सकता हैं विश्व कल्याण ---भागवत  (मोहन भागवत के हसीन सपने ) 

भागवत जी यदि आप ही की जगह भी का उपयोग करते तो बहुत अच्छा होता। और एक मजेदार बात यह होती हैं जब कोई विपक्ष में होता हैं तब वह सत्ता पक्ष से कहते हैं की उन्हें यह करना चाहिए और सब स्वयं सत्ता में होते हैं तो कहते हैं करना चाहिए ,करेंगे। संघ द्वारा नियंत्रित अनेक राज्य हैं जहाँ बहुत वर्षों से सरकार कायम हैं उनमे पर्यावरण की क्या स्थिति है। शिवराज सरकार ने करोड़ों पौधों का रोपण कराया था वे लापता हो गए उनमे बहुत भारी भ्र्ष्टाचार हुआ था पर कोई नहीं अपनी गलती पकड़ पाया। पानी बचाने के लिए मध्य प्रदेश जिसे मनपसंद प्रान्त कहते हैं अवैध रेत खनन का राजनैतिक संरक्षण में अबादरूप से निरंतर चल रहा हैं ,जितनी सख्ती उतना अधिक लेन देन। मध्य प्रदेश  में क्या पूरे भारत में अवैध रेत खनन रोका जाना असंभव कारण ऊँची गगनचुंम्बी भवनों का निर्माण बिना रेत के हो नहीं  सकता। भवनों ,सडकों से ही विकास का पैमाना नापा जाता हैं।
जंगलों की अवैध कटाई का मुख्य कारण आज जितने भी धनी मानी ,नेता अभिनेता सबके यहाँ सागौन की लकड़ी का उपयोग होता हैं और हुआ और होगा। जैसे मांस बिना जीव हिंसा के नहीं मिल सकता  वैसे ही फर्नीचर बिना अवैध जंगलों की कटाई के नहीं मिल सकता। क्या भगवत जी इस पर बंदिश लगा पाएंगे। पानी की कमी दो प्रकार से होती हैं -प्राकृतिक और मानव निर्मित। कारण मानव निर्मित नेताओं ,अफसरों की आजीविका का साधन होता हैं। गरमी में करोड़ों अरबों रुपयों का ढुलाई में पैसा बंटता हैं। पॉलीथीन हटाना बमुश्किल काम हैं। एक सप्ताह का आयोजन हुआ और फिर वर्ष भर की छुट्टी। पर्यावरण संरक्षण की बात पर यहाँ यह कहना चाहता हु की आप जहाँ भी जाते हैं वहां बिना एयर कंडीशनर ,कूलर या पंखे के रहते हैं। जब आपका काफिला चलता हैं तब कितनी गाडीयां साथ में हालति हैं। प्रधान मंत्री ,राष्ट्रपति ,राजयपाल ,मुख्य मंत्री, मंत्री के साथ कितना लाव लश्कर चलता हैं। उनको पसीना नहीं निकलना चाहिए।
भागवत जी कभी भी आबादी नियंत्रण ,मांस निर्यात पर अपनी तरफ से कुछ नहीं बोलते। कारण उनके करोड़ों संघ कार्यकर्त्ता स्वयं चमड़े  के जुटे और बेल्ट लगाते हैं तब  उनसे क्या अपेक्षा की जा सकती हैं की वे अहिंसात्मक जीवन शैली कैसे अपनाएंगे। उनके संघ के कार्यकर्त्ता जो मंत्री ,मुख्य मंत्री हैं ,थे वे खुले मंच से मांसाहार ,अंडा ,शराब और मच्छली का सेवन करते हैं। भारत मांस निर्यात में विश्व में दूसरे नंबर हैं। यह भारत के लिए गौरव की बात हैं जिससे हमारा सिर गर्व से ऊँचा होता हैं।
ऐसे अनेक बिंदु हैं जिन्हे पहले भारत में सुधारना होगा उसके बाद विश्व की कल्पना करना होगी। पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
(लेखक-वैद्य अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल )

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