
वाशिंगटन । अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा बृहस्पतिवार को ‘गांधी-किंग स्कॉलर्ली एक्सचेंज इनिशिएटिव’ विधेयक पर विचार करेगी। विधेयक को मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्व सांसद जॉन लेविस ने तैयार किया था जिनका इस साल निधन हो गया। भारतवंशी सांसद डॉ. एमी बेरा ने विधेयक का समर्थन किया था। विधेयक के जरिए अमेरिका-भारत पब्लिक प्राइवेट डेवलपमेंट फाउंडेशन की स्थापना होगी और महात्मा गांधी तथा मार्टिन लूथर किंग जूनियर के अहिंसक विरोध प्रदर्शनों के सिद्धांतों पर अध्ययन एवं द्विपक्षीय आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाएगा। सदन की विदेश मामलों की समिति ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दी थी। प्रतिनिधि सभा में विधेयक के नियमों पर चर्चा होगी।
विधेयक को पारित कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। विधेयक में प्रावधान किया गया है, कि अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी प्रशासक विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर भारत सरकार के सहयोग से अमेरिका-भारत गांधी-किंग डेवलपमेंट फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। इसके जरिए भारत में गैर सरकारी संस्थाओं को अनुदान दिया जाएगा। विधेयक में प्रावधान है कि विदेश मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से ‘गांधी-किंग स्कॉलर्ली एक्सचेंज इनिशिएटिव’ कार्यक्रम की शुरुआत करेगा, जो अमेरिका और भारत से शोधार्थियों के लिए वार्षिक शैक्षणिक मंच मुहैया कराएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक न्याय एवं मानवता तथा नागरिक अधिकारों पर महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर के विचारों पर फोकस करना होगा। विधेयक पारित होने के बाद एक पेशेवर विकास प्रशिक्षण पहल ‘गांधी-किंग ग्लोबल एकेडमी’ के लिए यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्त की जाएगी। गांधी-किंग स्कॉलर्ली एक्सचेंज इनिशिएटिव’ के तहत 2025 तक प्रतिवर्ष 10 लाख अमेरिकी डॉलर के अनुदान का प्रावधान है। बेरा ने कहा, ‘‘ दुनिया के सबसे पुराने एवं सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते अमेरिका और भारत गांधी, किंग और अमेरिकी कांग्रेस के सांसद लेविस सरीखे महान हस्तियों के मूल्यों को साझा करते हैं।