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लैब में तैयार मीट का आंनद लेने को तैयार सिंगापुरवासी, अमेरिकी कंपनी करेगी मीट का उत्पादन  

लैब में तैयार मीट का आंनद लेने को तैयार सिंगापुरवासी, अमेरिकी कंपनी करेगी मीट का उत्पादन  

सिंगापुर । सोचिए यदि किसी जानवर को मारे बिना ही आप मीट का मजा ले सकते हों! सिंगापुर कुछ ऐसा ही करने जा रहा है। सिंगापुर पहला देश है, इस लैब में प्रोड्यूस हुए मीट की बिक्री को मंजूरी दे दी है। सिंगापुर के कदम को ऐतिहासिक करार दिया जा रहा है। अमेरिकी कंपनी 'जस्ट ईट' चिकन बाइट्स का उत्पादन करेगी और उसने सिंगापुर की फूड एजेंसी के सेफ्टी टेस्ट को भी पास कर लिया है। कंपनी ने कहा है, कि सिंगापुर में मंजूरी मिलने के साथ ही भविष्य की नींव रख दी जाएगी जिसमें जानवरों की हत्या किए बिना ही मांस उत्पादन होगा। कंपनी का कहना है कि लैब में बने मीट में पारंपरिक मीट के बराबर ही पोषक तत्व और स्वाद भी वहीं होगा। 
कई दर्जन फर्म कल्टीवेटेड चिकन, बीफ और पोर्क तैयार कर रही हैं ताकि जानवरों की हत्या से जलवायु और पर्यावरण पर पड़ रहे असर को रोका जा सके। साथ ही, बिना किसी हिंसा के सुरक्षित और ड्रग मुक्त मीट का उत्पादन किया जा सकेगा। वर्तमान में हर रोज करीब 13 करोड़ मुर्गे और 40 लाख सुअरों को मार दिया जाता है। पृथ्वी पर कुल स्तनधारी जीवों में 60 फीसदी पशु हैं, 36 फीसदी इंसान और सिर्फ 4 फीसदी जंगली जानवर हैं। लेकिन मांस की खपत के लिए जानवरों की हत्या से जैव संतुलन बिगड़ता जा रहा है। 
सवाल ये उठता है कि आखिर जानवरों को मारे बिना किस तरह से मांस का उत्पादन किया जाएगा। दरअसल, अमेरिकी कंपनी जस्ट ईट इसके लिए 1200 लीटर के बायोरिएक्टर में एनिमल सेल्स यानी कोशिकाओं को तैयार करेगी और फिर इसमें पौधों से जुड़े इनग्रेडिएंट मिलाएगी। शुरूआत में उत्पाद की उपलब्धता सीमित होगी। हालांकि, कंपनी ने कहा है कि जल्द ही सिंगापुर के रेस्टोरेंट में भी उसके उत्पाद बिकने वाले है। जाहिर तौर पर, ये मीट पारंपरिक चिकन की तुलना में ज्यादा महंगा होगा। लेकिन कंपनी का कहना है कि उत्पादन का स्तर बढ़ने के साथ ही इसकी कीमतें कम होती जाएंगी। 
उत्पाद को बनाने के लिए जरूरी एनिमल सेल्स (कोशिकाएं) सेल बैंक से ली जाएंगी और इसके लिए किसी जानवर की हत्या करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये सेल्स जिंदा जानवरों की बायोप्सीज से ली जा सकेंगी। कई स्टडीज में ये बात साबित हो चुकी है कि अमीर देशों में लोग अपनी मांस का जरूरत से ज्यादा सेवन करते हैं, जो उनकी सेहत और धरती दोनों के लिए ही खतरनाक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मांस की खपत में कमी करना किसी भी व्यक्ति की तरफ से पर्यावरण संरक्षण में सबसे बड़ा योगदान हो सकता है।
 

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