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मॉडर्ना वैक्‍सीन 3 महीने तक बनाती है एंटीबॉडी -कोरोना के खिलाफ रिसर्च में ‎किया गया दावा  

मॉडर्ना वैक्‍सीन 3 महीने तक बनाती है एंटीबॉडी -कोरोना के खिलाफ रिसर्च में ‎किया गया दावा  

वॉशिंगटन ।जानलेवा कोरोना वायरस से बचाव की वैक्‍सीन बना रही मॉडर्ना कंपनी का कहना है कि यह वैक्‍सीन कोरोना वायरस के खिलाफ 94 फीसदी तक प्रभावी है। वहीं अब कंपनी ने एक और दावा किया है। कंपनी का कहना है कि मॉडर्ना की वैक्‍सीन की डोज के बाद इससे शरीर में 3 महीने तक शक्तिशाली एंटीबॉडी का निर्माण होता है। इस वैक्‍सीन को विकसित करने में सहयोग करने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के शोधकर्ताओं ने क्‍लीनिकल ट्रायल के पहले चरण में शामिल 34 लोगों के रोग प्रतिरोधक तंत्र का अध्‍ययन कर यह दावा किया है। इसमें युवा और बुजुर्ग दोनों ही शामिल हैं।
 एक शोध में उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को मानव कोशिकाओं पर हमला करने से रोकने वाली एंटीबॉडी समय के साथ थोड़े कम हो जाते हैं। लेकिन टीकाकरण के बाद इन सभी 34 लोगों में 3 महीने तक ये एंटीबॉडी सही स्‍तर पर रहे। मॉडर्ना ने अपनी जिस कोरोना वैक्‍सीन को लेकर यह दावा किया है उसका नाम एमआरएनए-1273 है। इस वैक्सीन को 28 दिनों के अंतराल में दो इंजेक्शन के जरिये दिया जाता है। हालांकि भले ही एंटीबॉडी की संख्या समय के साथ कम हो जाए, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वो स्‍वास्‍थ्‍य के लिए चिंता का कारण बने। एनआईएआईडी के निदेशक एंथनी फौकी और अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसी भी संभावनाएं हैं के लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोना वायरस को याद रखेगी अगर बाद फिर से वो सामने आए तो, ऐसे में शरीर फिर से उसके लिए नई एंटीबॉडी बना देगा। 
मॉडर्ना की इस वैक्सीन की समीक्षा 17 दिसंबर को फूड एंड ड्रग एडमिनिस्‍ट्रेशन (एफडीए) की एक सलाहकार समिति द्वारा की जाएगी। इसके बाद इसे आपातकालीन इस्तेमाल के लिए तुरंत मंजूरी दी जा सकती है। बता दें ‎कि देश-दुनिया में कहर ढा रहे कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ विकसित की जा रही वैक्‍सीन को लेकर कंपनियों और संस्‍थानों ने इसके प्रभावीकरण के कई दावे किए हैं।

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