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 इजरायल से दोस्ती पर प्रिंस सलमान के खिलाफ गए प्रिंस फैसल, कहा उस पर निर्भरता ठीक नहीं

 इजरायल से दोस्ती पर प्रिंस सलमान के खिलाफ गए प्रिंस फैसल, कहा उस पर निर्भरता ठीक नहीं

रियाद । सऊदी अरब के साथ इजराइल के रिश्ते सामान्य होने की उम्मीदों के बीच शाही परिवार दो हिस्सों में बटता दिखाई दे रहा है। एक तरफ क्राउन प्रिंस सलमान की तरफ से इजराइल-सऊदी अरब की बातचीत को आगे बढ़ाने पर सकारात्मक माहौल निर्मित हुआ है, वहीं सऊदी अरब के एक अन्य ताकतवर प्रिंस तुर्की अल फैसल ने बहरीन सम्मेलन में इजराइल की कड़ी आलोचना की। उन्होने कहा कि उस पर अधिक निर्भरता ठीक नहीं है। प्रिंस फैसल ने इजरायल को पश्चिमी औपनिवेशक शक्ति तक करार दिया है, जिसके बाद दोनों देशों में फिर से तनाव बढ़ गया है। बता दे कि 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद से आजतक सऊदी अरब ने उसे मान्यता नहीं दी है। सऊदी अरब के खुफिया विभाग की दो दशक से भी ज्यादा समय तक कमान संभाल चुके और अमेरिका तथा ब्रिटेन में राजदूत रह चुके प्रिंस तुर्की अल फैसल ने कहा कि इजरायल ने सुरक्षा संबंधी आरोपों में युवा और बुजुर्ग, फिलिस्तीनी महिलाओं और पुरुषों को शिविरों में कैद कर रखा है, जो वहां बिना न्याय के हैं। वे अपनी मर्जी के घरों को गिरा रहे हैं और मर्जी से लोगों को मार रहे हैं. 
प्रिंस तुर्की अल फैसल वर्तमान में किसी आधिकारिक पद पर नहीं हैं लेकिन उनका रुख शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद से काफी मिलता देखा जा रहा है। वहीं इससे ठीक विपरीत सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वह देश में विदेशी निवेश को बढ़ाने और दोनों देशों के साझा शत्रु ईरान से निपटने के लिए इजरायल के साथ काम करने के इच्छुक हैं। सम्मेलन में शामिल इजराइल के विदेश मंत्री ने प्रिंस के संबोधन के बाद कहा कि मैं सऊदी प्रतिनिधि के बयानों पर खेद व्यक्त करना चाहता हूं। मुझे नहीं लगता कि वे मध्य पूर्व में हो रहे बदलावों को दर्शाते हैं। 
बहरीन सुरक्षा सम्मेलन में शामिल इजरायल के विदेश मंत्री ने प्रिंस के संबोधन के बाद पलटवार किया। उन्होंने कहा कि मैं सऊदी अरब प्रतिनिधि के बयानों पर खेद व्यक्त करना चाहता हूं। मुझे नहीं लगता कि वे मध्य पूर्व में हो रहे बदलावों को दर्शाते हैं। इजरायल और सऊदी अरब के बीच हाल के सालों में द्विपक्षीय संबंध बेहतर हुए हैं। सऊदी अरब और इजरायल दोनों ईरान के परमाणु हथियार बनाने का विरोध करते हैं। इसके अलावा दोनों देश यमन, सीरिया, इराक और लेबनान में ईरान की आकांक्षाओं के विस्तार को लेकर भी चिंतित हैं। हिजबुल्लाह को लेकर भी इजरायल और सऊदी अरब एक रुख रखते हैं। माना जा रहा है कि सऊदी अरब और इजरायल खुफिया जानकारी, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहे हैं। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के प्रमुख अपने सऊदी समकक्षों और अन्य नेताओं के साथ गुप्त रूप से मिलते रहे हैं।
 

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