
जेनेवा । संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को प्रस्ताव को मंजूर कर लिया, जिसमें अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता में प्रगति की सराहना की गई है। साथ ही, तालिबान, अलकायदा, इस्लामिक स्टेट और उससे संबद्ध समूहों द्वारा आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए प्रयास तेज करने का भी आग्रह किया गया है। महासभा के 193 सदस्य हैं। प्रस्ताव के पक्ष में कुल 130 वोट पड़े, जबकि 59 सदस्य देशों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। रूस ने प्रस्ताव का विरोध किया जबकि चीन पाकिस्तान और बेलारूस अनुपस्थित रहे।15 पन्ने के प्रस्ताव में शांति और सुलह-सफाई, लोकतंत्र, कानून का शासन, सुशासन, मानवाधिकार, मादक पदार्थ पर नियंत्रण के लिए कार्रवाई, सामाजिक और आर्थिक विकास और क्षेत्रीय सहयोग के विषय को शामिल किया गया है। दो दिसंबर को हुए समझौते सहित अफगान वार्ता में प्रगति का स्वागत करते हुए प्रस्ताव में क्षेत्र में ‘‘लगातार जारी हिंसा’’ की निंदा भी की गई है। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की राजदूत आदिला राज ने अफसोस जताया कि प्रस्ताव के लिए उनकी सरकार के मजबूत समर्थन के बावजूद सर्वसम्मति से लागू नहीं किया गया। राज ने कहा कि सरकार,अफगानिस्तान के पड़ोसियों और महासभा का लक्ष्य तालिबान को राजनीतिक दल के तौर पर चिह्नित करना है। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में शांति और समृद्धि के लिए हमारा लक्ष्य तालिबान को देश में एक राजनीतिक दल के तौर पर देखने का है।