
वाशिंगटन । अमेरिका के शीर्ष राजनयिक ने कहा कि रूस से प्रमुख रक्षा ‘हार्डवेयर’ खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने का प्रशासन को अधिकार देने वाला कठोर कानून भारत जैसे सहयोगियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए नहीं है। अमेरिका ने अपने नाटो सहयोगी तुर्की पर रूस की उन्नत एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (सीएएटीएसए) के तहत प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिकी कानून जिसे सीएएटीएसए के रूप में जाना जाता है, उसका उद्देश्य रूस के प्रभाव को कम करना है। वर्ष 2014 में यूक्रेन में मास्को के सैन्य हस्तक्षेप और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इसकी कथित मध्यस्थता के बाद, मुख्य रूप से यह कानून रूसी हितों पर प्रतिबंधों से संबंधित है।
राजनीतिक सैन्य मामलों के सहायक सचिव आर. क्लार्क कूपर ने कहा , सीएएटीएसए प्रतिबंध किसी भागीदार या सहयोगी पर दंडात्मक कार्रवाई के लिए नहीं बनाया गया.....हम निश्चित तौर पर इससे छेड़छाड़ नहीं करना चाहते..? हम नहीं चाहते हैं कि एक साथी की संप्रभु रक्षा क्षमताओं को जोखिम में डालने के लिए उनकी तैयारियों को कम किया जाए।’’ कूपर रूस से एस-400 की खरीद के कारण सीएएटीएसए के तहत भारत पर प्रतिबंधों की संभावना पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। अक्टूबर 2018 में, भारत ने रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, अमेरिकी प्रशासन की चेतावनी के बाद इस अनुबंध पर कायम रहने पर उस अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं एक बात कहूंगा, विशेष रूप से, भारतीय परिप्रेक्ष्य से, जिसके कारण मैंने यह मुद्दा उठाया, सीएएटीएसए इस संदर्भ में दंडात्मक कार्रवाई करने के लिए नहीं है। इसका लक्ष्य उच्च-स्तरीय, उच्च-तकनीकी रूसी प्रणालियों को कम करना और रोकना है।’’ कूपर ने कहा कि सीएएटीएसए के प्रतिबंध वैश्विक प्रकृति के हैं। यह किसी विशेष देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है।