YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

वर्ल्ड

 अब गार्जियंस कहलाएंगे अमेरिकी स्‍पेस फोर्स के जांबाज, स्‍पेस में रूस और चीन दे रहे कड़ी टक्‍कर

 अब गार्जियंस कहलाएंगे अमेरिकी स्‍पेस फोर्स के जांबाज, स्‍पेस में रूस और चीन दे रहे कड़ी टक्‍कर

वाशिंगटन । अमेरिकी स्‍पेस फोर्स ने अपने जांबाजों को नया नाम दिया है। स्‍पेस फोर्स ने कहा है कि उसके जवान अब गार्जियंस के नाम से जाने जाएंगे। इसने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। ट्वीट में कहा गया है कि वर्षों की प्रक्रिया जिसमें अतंरिक्ष प्रोफेशनलों की भागीदारी से हजारों मिशन और शोध को अंजाम दिया गया है।  
अमेरिका में करीब दो साल पहले इस फोर्स का गठन किया गया है। यह फोर्स अमेरिका के छठे सशस्‍त्र बल के रूप में सामने आई है। इससे जुड़े जवान वास्‍तविक रूप से अंतरिक्ष में तैनात नहीं होते हैं, बल्कि अमेर‍िकी उपग्रहों की सुरक्षा के लिए काम करते हैं। इसका मकसद अंतरिक्ष में प्रतिद्वंद्वी देशों के साथ मुकाबला करने के लिए होता है। यह एक प्रकार की अंतरिक्ष सेना है। चीन और रूस के बाद अमेरिका तीसरा देश है, जिसके पास यह फोर्स है। अमेरिका के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी रूस और चीन एंटी सैटेलाइट हमलों के लिए तैयारी कर चुके हैं। अमेरिका बहुत हद तक मौसम, इंटेलिजेंस के लिए बेहरतर तस्‍वीरों और जीपीए सैटेलाइटों के लिए अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों पर निर्भर करता है। इसलिए वह अपने उपग्रहों के लिए  कोई जोखिम नहीं ले सकता है।
स्‍पेस में रूस और चीन अमेरिका के दो बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं। दोनों बड़े प्रतिद्वंद्वियों के तौर पर अमेरिका के सामने न केवल स्पेस, बल्कि अमेरिकी  सेना के समक्ष भी चुनौती पेश करते हैं। वर्ष 2015 में चीन ने तो एक स्ट्रैटजिक सपॉर्ट फोर्स तैयार की थी, जो उसे स्पेस, सायबर और इलेक्ट्रोनिक से जुड़े युद्ध मिशन में मदद करती है। वर्ष  2018 में अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा था कि चीन ऐसी हाइपरसॉनिक मिसाइलों में निवेश कर रहा है तो अमेरिकी डिटेक्शन सिस्टम से बच सकें।
दरअसल, इन जांबजों की तैनाती वास्तविक रूप से स्पेस में नहीं होगी, ये अमेरिकी उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष व्हीकलों की सुरक्षा के लिए काम करेंगे। ट्रंप प्रशासन ने इस फोर्स के लिए पहले वर्ष 4 करोड़ डॉलर का बजट मंजूर किया था। मध्‍य पूर्व में कतर के उदैद एयरबेस में अमेरिका स्‍पेस फोर्स के 20 जवानों की टुकड़ी को तैनात किया गया था। इस फोर्स की विदेशी धरती पर यह पहली तैनाती है। इस प्रोजेक्‍ट को ट्रंप का सनक भरा कदम करार दिया गया था। 
 

Related Posts