
पेइचिंग । दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन में आधे से अधिक लोग मोटापे का सामना कर रहे हैं। इससे चिंतित राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वजन कम करने वाली कई सरकारी योजनाओं को लॉन्च किया है। इनके माध्यम से देश में बढ़ते मोटापे की समस्या से लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। सन 2002 में चीन में मोटापे का सामना कर रहे लोगों की संख्या 29 फीसदी ही थी।
बुधवार को जारी चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग की रिपोर्ट में 50 फीसदी से अधिक वयस्कों में अधिक वजन दर्ज किया गया है। इनमें से 16.4 फीसदी लोग मोटे हैं। इस आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दशकों में देश की तीव्र आर्थिक वृद्धि ने जीवन शैली, आहार और व्यायाम की आदतों में बड़े बदलाव लाए हैं। मोटापे के कारण चीनी लोगों में हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह सहित कई बीमारियों के लिए जोखिम भी बढ़ गया है।
कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान चीनी लोगों के मोटापे की ओर सरकार का ध्यान गया। कई स्टडीज से भी यह पता चला है कि मोटे लोगों को कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा होता है। चीन के पोषण मामलों के विशेषज्ञ वांग दान ने कहा कि देश में कई वयस्क अब बहुत कम व्यायाम करते हैं, वे बहुत अधिक दबाव में हैं। उनका वर्क शेड्यूल भी बहुत अस्वास्थ्यकर है।
इस रिपोर्ट में लोगों के बढ़ते मोटापे के लिए शारीरिक गतिविधि के घटते स्तर को जिम्मेदार ठहराया गया है। चीन की कुल वयस्क आबादी के एक चौथाई लोग ही सप्ताह में एक बार व्यायाम करते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोगों के खाने में मांस की अधिकता हो गई है। जबकि, ये लोग फलों और सब्जियों का सेवन कम कर रहे हैं। इसे भी लोगों में मोटापा बढ़ने का बड़ा कारण माना गया है। दुनिया में चीन ही एकलौता देश नहीं है जहां मोटापे की समस्या गंभीर है। इस साल की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया था कि दुनिया भर में मोटापे का स्तर 1975 के बाद तीन गुना हो गया है। इनमें निम्न और मध्यम आय वाले देश (विकासशील देश) शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2016 में लगभग 40 फीसदी वयस्क अधिक वजन वाले थे, जबकि लगभग 13 फीसदी मोटे थे।