नई दिल्ली । कोरोना काल में गिरे रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने सरकार इस सेक्टर को कई राहत दे सकती है। इसमें होम लोन पर आयकर छूट की सीमा 2 लाख रुपये से ज्यादा करने का निर्णय भी संभव है। रियल एस्टेट संगठन नारेडको, एसोचैम जैसे संगठनों ने रियल एस्टेट को प्रोत्साहन एवं समर्थन देने के लिए बजट-2021 के लिए अपने सुझाव दिए हैं। रियल एस्टेट 14 प्रतिशत रोजगार प्रदान करने के साथ जीडीपी में 7 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। ऐसे में रियल एस्टेट के लिए कई मांगें सरकार के समक्ष रखी गई हैं।
उद्योग संगठनों की ओर से मांग की गई है कि 30 लाख रुपये या उससे कम के किफायती घरों पर उसकी कीमत का 90 प्रतिशत तक होम लोन दिया जाए। एमआईजी और एचआईजी को भी इस दायरे में लाया जाए तो बेहतर है। होम लोन के ब्याज पर आयकर छूट की सालाना 2 लाख की सीमा को पूरी तरह खत्म किया जाए या फिर इसे नए स्तर पर ले जाया जाए।
उद्योग संगठनों और बिल्डरों की मांग है कि दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (लांग टर्म कैपिटल गेन्स यानी LTCG)को 10 प्रतिशत पर लाया जाए। लांग टर्म कैपिटल एसेट का लाभ प्राप्त करने के लिए किसी भी आवासीय संपत्ति का धारक बने रहने की समय अवधि को मौजूदा 24/36 महीने से कम करके 12 महीने तक किया जाना आवश्यक है।
किराये के घरों को प्रोत्साहित करने के लिए कर छूट में HRA का दायरा बढ़ाने की जरूरत है। कामर्शियल भवनों की तरह किराये की परियोजनाओं के लिए बढ़ी हुई डिप्रिशिएसन रेट और किराये की आय से होने वाले नुकसान को “कैरी ऑन” की अनुमति दी जानी चाहिए। किफायती आवास (अफोर्डेबल हाउसिंग) के पूरा होने की अवधि को छह साल तक बढ़ाने से भी रियल एस्टेट सेक्टर को फायदा पहुंचेगा।
नेशन इकॉनमी
बजट में होम लोन पर आयकर छूट की सीमा 2 लाख रुपये से ज्यादा करने का निर्णय संभव