
वॉशिंगटन । दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का तमगा पाने वाले अमेरिका में जो बाइडेन अब तक के सबसे उम्रदराज राष्टपति बने है। बड़े बुजुर्गों को अक्सर कहते सुना होगा कि ये बाल हमने धूप में सफेद नहीं किये हैं। ये कहावत अक्सर अनुभव बताने के लिये इस्तेमाल की जाती है और अमेरिका के नव निर्वाचित 46वें राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिये यह बिल्कुल सटीक बैठती है जिन्होंने अपनी आंखों के सामने अमेरिका को बदलते देखा है। बाइडेन का जन्म 20 नवंबर 1942 को पेन्सिलवेनिया के स्क्रैन्टन में हुआ था। बुधवार को जब उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली तब उनकी उम्र 78 साल, दो महीने और एक दिन थी। राष्ट्रपति रहे रोनाल्ड रीगन ने 1989 में जिस उम्र में कुर्सी छोड़ी थी यह उससे 78 दिन ज्यादा है। एक नजर डालते हैं कि कैसे अमेरिका का नेतृत्व कर रहे बाइडेन के जीवनकाल में यह देश बदला और उनके राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान यह बदलाव कितना परिलक्षित हो सकता है। अधिक विशालता, ज्यादा विविधता अमेरिका की जनसंख्या अब 33 करोड़ के करीब पहुंच रही है जो बाइडेन के जन्म के समय 13.5 करोड़ थी। बाइडेन जब 1972 में पहली बार सीनेट के लिये चुने गए थे उस समय से मौजूदा जनसंख्या करीब 60 प्रतिशत ज्यादा हो चुकी है। बाइडेन के जीवनकाल में दुनिया की जनसंख्या 2.3 अरब से बढ़कर 7.8 अरब पहुंच चुकी है। बाइडेन के अमेरिका में विविधता कहीं ज्यादा चौंकाने वाली है। बाइडेन के जन्म के बाद 1950 में हुई पहली जनगणना के मुताबिक देश में 89 प्रतिशत श्वेत थे।
2020 में देखें तो देश में 60 प्रतिशत गैर लातिन अमेरिकी श्वेत थे और 76 प्रतिशत श्वेत थे जिनमें लातिन अमेरिकी श्वेत भी शामिल हैं। ऐसे में इस बात को लेकर कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए कि 30 साल की उम्र में पहली बार लगभग श्वेतों के अधिपत्य वाली सीनेट के सदस्य बनने वाले बाइडेन ने 48 साल बाद राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद दिये गए अपने पहले भाषण में नस्ली न्याय को लेकर वादा किया और कई कार्यकारी आदेश जारी किये जो आव्रजकों के हित में थे। बाइडेन ने उपराष्ट्रपति के तौर पर कमला हैरिस का उल्लेख विशेष रूप से किया जो राष्ट्रीय कार्यालय के लिये निर्वाचित पहली महिला होने के साथ ही इस पद तक पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला और दक्षिण एशियाई मूल की महिला भी हैं। उन्होंने हैरिस से कहा, 'अब मुझसे मत कहें कि चीजें बदल नहीं सकतीं।' बाइडेन जब पहली बार सीनेटर बन चुके थे तब कमला ओकलैंड पब्लिक एलीमेंट्री स्कूल में अधिकतर अलग-थलग सी रहने वाली छात्रा ही थीं। बाइडेन जब संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर रहे थे तब राष्ट्रपति के पीछे दो महिलाएं थीं और यह भी अपने आप में पहला मामला था। यह दोनों महिलाएं थीं हैरिस और स्पीकर नैंसी पेलोसी। बदलाव आने में हालांकि वक्त लगता है।
हैरिस सीनेट में जाने वाली महज दूसरी अश्वेत महिला थीं। सोमवार को जब उन्होंने सीनेट से इस्तीफा दिया तब वहां कोई अश्वेत महिला सदस्य नहीं बची। सीनेट की 100 सीटों में वहां सिर्फ तीन अश्वेत पुरुष हैं। अमेरिकी जनसंख्या में अश्वेत अमेरिकी करीब 13 प्रतिशत हैं। पैसा बोलता है अमेरिका में 1942 में न्यूनतम मजदूरी 30 सेंट प्रतिघंटा थी। 100 सेंट का एक डॉलर होता है ठीक वैसे ही जैसे हमारे देश में 100 पैसों का एक रुपया होता है। बाइडेन के जन्म से पहले 1940 की जनगणना के मुताबिक पुरुषों की औसत आय 956 डॉलर थी, जबकि पुरुष जहां एक डॉलर कमाते वहां महिलाओं की आय 62 सेंट की होती थी। आज अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी 7.25 डॉलर प्रतिघंटा है। संघीय सरकार के हालिया साप्ताहिक मजदूरी के आंकड़ों के मुताबिक पूर्णकालिक कर्मचारी की औसत वार्षिक आय 51,100 अमेरिकी डॉलर है। क्रयशक्ति की बात करें तो यह आंकड़े भी दिलचस्प हैं।
जिस महीने बाइडेन का जन्म हुआ, एक दर्जन अंडे अमेरिकी शहरों में औसतन करीब 60 सेंट के मिलते थे या कहें- दो घंटों की न्यूनतम मजदूरी के बराबर। ब्रेड के एक पैकट तब 9 सेंट की आती थी यानी करीब 20 मिनट काम करना पड़ता। आज की बात करें तो यह करीब डेढ़ डॉलर (न्यूनतम मजदूरी के हिसाब से 12 मिनट का काम) या एक पैकेट ब्रेड औसतन दो डॉलर (करीब 16 मिनट तक काम करना) में आती है। कॉलेज की पढ़ाई का खर्च का आंकड़ा भी देखना दिलचस्प है। बाइडेन के जन्म के समय (1940 के दशक में) हार्वर्ड बिजनेस स्कूल का वार्षिक शुल्क करीब 600 डॉलर था जो अमेरिकी कामगार की औसत आय का करीब दो तिहाई था। आज की बात करें तो हार्वर्ड से एमबीए करने की वार्षिक ट्यूशन फीस 73,000 डॉलर है या अमेरिकियों के औसत वेतन के मुताबिक एक साल और लगभग पांच महीने की तनख्वाह के (वह भी बिना कर के) बराबर है। बाइडेन ने न्यूनतम मजदूरी को 15 डॉलर प्रतिघंटा करने का प्रस्ताव दिया है, हालांकि रिपब्लिकन इसके विरोध में हैं।