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प्रायोगिक दवा से जल्द ठीक हो सकते हैं कोरोना मरीज -ताजा अध्ययन में ‎किया गया दावा 

प्रायोगिक दवा से जल्द ठीक हो सकते हैं कोरोना मरीज -ताजा अध्ययन में ‎किया गया दावा 

-टोरंटो । एक प्रायोगिक ''एंटीवायरल'' दवाई कोविड-19 के उन मरीजों के ठीक होने की रफ्तार बढ़ा सकती है जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। यह दावा ‎किया गया है एक ताजा अध्ययन में। अध्ययन के अनुसार, जिन मरीजों को ''पेजइंटरफरॉन-लाम्बडा'' नाम की दवा का एक इंजेक्शन दिया गया, उनमें उस एक समूह की तुलना में सात दिन के अंदर संक्रमण को खत्म करने की चार गुना अधिक संभावना है जिसका इलाज ''प्लेस्बो'' (जिसमें मरीज जो दवाई खाता है, वह असल नहीं होती है) से किया गया है। 
अध्ययन के सह लेखक एवं कनाडा में टोरंटो यकृत रोग केंद्र के जॉर्डन फेल्ड ने कहा कि इस उपचार में बड़ी चिकित्सीय क्षमता है, खासतौर पर तब जब वायरस के नए स्वरूप दुनियाभर में तेजी से फैल रहे हैं जिनपर टीकों और एंटीबॉडी से किए जाने वाले इलाज का कम असर होता है।शोधार्थियों के मुताबिक, जिन लोगों को प्रयोगात्मक दवाई दी गई, उनके शरीर में जल्दी ही वायरस खत्म हो गया। यह उन मरीजों में अधिक देखा गया जिनमें वायरल का स्तर उच्च था। फेल्ड ने बताया कि उन्होंने इस समूह में श्वास संबंधी लक्षणों में तेजी से सुधार की प्रवृत्ति देखी। उच्च वायरल स्तर वाले मरीजों को यह दवाई दी गई तो उनमें ''प्लेस्बो'' लेने वाले मरीजों की तुलना में संक्रमण से मुक्त होने की संभावना अधिक थी। यह दवाई लेने वाले मरीजों में यह संभावना 79 फीसदी थी जबकि ''प्लेस्बो'' वाले समूह में 38 प्रतिशत थी। शोधार्थियों ने बताया कि जिस समूह को यह दवाई दी गई, उनमें वायरस का स्तर तेजी से कम हुआ। 
उन्होंने बताया कि शरीर में वायरस के तेजी से खत्म होने के कई फायदे हैं, खासकर उच्च वायरल स्तर वाले मरीजों में, क्योंकि वायरस के कारण कई गंभीर बीमारियों का खतरा होता है। साथ में अन्य में संक्रमण के फैलाव का भी उच्च जोखिम होता है। उन्होंने बताया कि पांच में से चार ''प्लेस्बो'' वाले समूह के मरीज थे जबकि प्रयोगात्मक दवाई लेना वाला एक मरीज था। फ्लेड ने कहा, ''अगर हम वायरस के स्तर को तेजी से कम कर सकें तो लोगों द्वारा अन्य में संक्रमण का प्रसार करने की संभावना कम होगी और हम स्वयं पृथक-वास की अवधि कम कर सकेंगे।'' शोधार्थियों ने बताया कि अध्ययन में 60 लोगों को शामिल किया गया था जिनमें से पांच को श्वास संबंधी लक्षणों की स्थिति खराब वजह होने की वजह से आपातकाल कक्षों में ले जाया गया।  
 

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