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 नासा ने की स्पेस एजेंसियों से साझेदारी -मंगल ग्रह पर रोबोट भेजने की चल रही तैयारी

 नासा ने की स्पेस एजेंसियों से साझेदारी -मंगल ग्रह पर रोबोट भेजने की चल रही तैयारी

वाशिंगटन । अमे‎रिका की स्पेस एजेंसी नासा ने इटेलियन स्पेस एंजेसी , कैनेडियन स्पेस एजेंसी और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत यह स्पेस एजेंसी मिलकर मंगल ग्रह पर बर्फ, जल और गहराई आदि की खोज के लिए एक रोबोट ऑर्बिटर भेजने वाली हैं। फिलहाल ये संस्थान एक रोबोट ऑर्बिटर को बनाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं, जिसे मार्स आइस मेपर कहा जाएगा। 
साइंटिस्ट को यह मालूम है कि मंगल ग्रह पर ध्रुवों और बड़े गड्ढों में काफी बर्फ मौजूद है। इस रिसर्च के जरिए वे यह जानना चाहते हैं कि इसके अलावा कहां बर्फ स्थित है। ऐसा अनुमान है कि कई जगहों में सतह के नीचे भारी मात्रा में बर्फ है। यह भविष्य के मिशन को देखते हुए काफी मददगार साबित हो सकती है। इसमें भविष्य में एस्ट्रोनॉट्स को बर्फ के लिए ध्रुवों में सभी जगह नहीं ढूंढना होगा, उन्हें यह पहले से पता होगा कि कहां जमीन खोदने पर बर्फ मिल सकती है।इस मार्स आइस मैपर जैसे रोबोट मिशन के जरिए भविष्य में इंसानों के मिशन के लिए काफी रास्ते खुल सकते हैं। नासा के आर्किटेक्चर और मिशन एलिग्नमेंट के सीनियर एडवाइजर जीम वाटझीन के अनुसार, मार्स आइस मेपर के लिए नया पार्टनशिप मॉडल ग्लोबल लेवल पर सभी के अनुभव को साथ लाकर काम रहा है। इस मिशन को सभी इच्छुक संस्थान एक साथ मिलकर इसकी लागत को आपस में बांट रहे हैं और साथ ही साथ टेक्नोलॉजी को ज्यादा मजबूत कर रहे हैं। हम एक साथ मिलकर इस रिसर्च के जरिए मंगल ग्रह पर पहले इंसान मिशन के लिए रास्ते को साफ कर रहे हैं। 
नासा के प्लेनेटरीसाइंस डिवजन डिप्‍टी डायरेक्टर और मार्स एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम के डायरेक्टर एरीक लेनसन ने कहा कि भविष्य में मंगल ग्रह पर मानव के लिए मददगार होने के अलावा इस मिशन से ग्रह की सतह के नीचे बर्फ की जानकारी वैज्ञानिक की खोज में ज्यादा योगदान करेगी। सतह के नजदीक पानी उसके ऊपर के लेयरिंग को दिखाएगा। इससे पता चलेगा कि मंगल ग्रह पर पर्यावरण कैसा रहता था और कैसा रहता है। कई ऐसे सवाल हैं, जिनका सवाल साइंटिस्ट जानना चाहते हैं तो उनका जवाब मिलेगा। इससे यह पता चलेगा कि मंगल पर माइक्रोबियल जीवन आज संभव है या नहीं।बता दें ‎कि नासा स्पेस से संबंधित रिसर्च के लिए काम करती है और नई टेक्नोलॉजी के स्पेस में रॉकेट से लेकर अन्य उपकरण भेजती रहती है। 
 

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