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वैज्ञानिकों ने किया आगाह- प्रकृति से छेड़छाड़ पड़ सकती है भारी, डिजीज एक्स से मर सकते हैं 7.5 करोड़ लोग

वैज्ञानिकों ने किया आगाह- प्रकृति से छेड़छाड़ पड़ सकती है भारी, डिजीज एक्स से मर सकते हैं 7.5 करोड़ लोग

लंदन । वैश्विक महामारी कोरोना के बीच वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि प्रकृति से छेड़छाड़ भारी पड़ सकती है इससे डिजीज एक्स करोड़ों लोग अपनी जान गवां सकते हैं। अगर ऐसे ही इंसान पशुओं के आवास के साथ छेड़छाड़ करता रहा तो डिजीज एक्स से 7.5 करोड़ लोग मर सकते हैं। यही नहीं हर पांच में एक बार महामारी फैल सकती है। उन्होंने कहा कि यह महामारी प्लेग के कहर से भी खतरनाक होगी जिससे एक समय में सबसे ज्यादा लोग मारे गए थे। वैज्ञानिकों ने कहा कि इंसान दुनियाभर में प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिससे पशुओं से पैदा होने वाली बीमारियों के इंसान में पहुंचने का खतरा पैदा हो गया है। वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी ऐसे समय पर दी है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन में कोरोना वायरस को लेकर जांच की है। अब वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि इंसान कोरोना की तरह से एक और महामारी के मुहाने पर खड़ा है और इसकी चपेट में करोड़ों लोग आ सकते हैं। प्रतिष्ठित पत्रिका नेचर में छपे शोध में पर्यावरणीय शोध के विशेषज्ञ डॉक्टर जोसेफ सेटल ने द सन से कहा कि पशुओं से संक्रमण के इंसानों में फैलने का खतरा बढ़ रहा है।
डॉक्टर जोसेफ ने कहा कि इसकी वजह यह है कि इंसान पशुओं के आवास में घुसपैठ कर रहा है। शोध में कहा गया है कि दक्षिण पूर्वी एशिया, दक्षिणी और मध्य अफ्रीका, ऐमजॉन नदी के आसपास और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में नई महामारी फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है। डॉक्टर जोसेफ ने कहा कि खेती के लिए बहुत तेजी से वनों का काटे जाना, खनन और आधारभूत ढांचा विकास तथा वन्य जीवों का दोहन पशुओं से बीमारियों के इंसानों में जाने के लिए बहुत अच्छा माहौल बनाता है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में जो लोग सबसे ज्यादा रहते हैं, उनके अंदर नई महामारी फैलने का ज्यादा खतरा है। वहीं एक आलेख में चेतावनी दी गई है कि कोरोना वायरस अंतिम हेल्थ इमरजेंसी नहीं है और सबसे खराब भी नहीं है। जलवायु परिवर्तन ने इंसानी सभ्यता के लिए अस्तित्व का संकट पैदा कर दिया तो सभी लोग एकजुट हो गए थे। पशुओं से पैदा होने वाली बीमारियों के खिलाफ भी ऐसे ही एकजुटता की जरूरत होगी। 
 

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